उन्नत खेती के बाद भी संकट से जूझ रहे अमेरिकी किसान, ट्रंप प्रशासन राहत देने में लाचार
अगर ट्रंप ट्रेड वार पर लगाम नहीं लगाते तो वह उन किसानों का समर्थन खो सकते हैं जो उनकी जीत में सहायक बने थे।
राजीव सचान, सैन फ्रांसिस्को से लौटकर। आधुनिक खेती के जो भी पैमाने हो सकते हैं उन सब पर अमेरिकी किसान न केवल खरे उतरते हैं बल्कि मशीनों के इस्तेमाल के मामले में चकित भी करते हैं। अखरोट उत्पादन और पैकेजिंग की प्रक्रिया से परिचित होने के लिए कैलिफोर्निया वॉलनट कमीशन के बुलावे पर सैन फ्रांसिस्को गया। भारत, चीन, तुर्की और ब्रिटेन के पत्रकारों का एक दल तब विस्मित हुआ जब उसने देखा कि किस तरह सिंचाई के अलावा अखरोट तोड़ने, उनका संग्रह करने और फिर एक पैकेजिंग संयंत्र में उनकी सफाई, छंटाई के साथ उनकी पैकिंग आदि का सारा काम मशीनों के जरिये ही हो रहा था। इसके चलते जहां खेतों में मजदूरों का कहीं नामो निशान न था। वहीं पैकेजिंग संयंत्र में भी नाममात्र के कामगार थे।
अखरोट की खेती में विश्व में दूसरे नंबर पर काबिज अमेरिका में पांच हजार से भी कम किसान
मशीनों के जरिये वैज्ञानिक ढंग से खेती के अपने तमाम लाभ हैं और इसे उन्नत खेती की मिसाल ही कहा जाएगा कि अमेरिका में अखरोट की खेती करने वाले किसानों की संख्या पांच हजार से भी कम है, लेकिन अखरोट उत्पादन में वह चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर है। मशीनों से खेती के इस उजले पक्ष का एक स्याह पहलू भी है और इन दिनों अमेरिकी किसान इसी से दो-चार हो रहे हैं।
दुग्ध उत्पादों के दामों में गिरावट से अमेरिकी किसान संकट में
अंतराष्ट्रीय बाजार में करीब-करीब सभी प्रमुख फसलों के साथ दुग्ध उत्पादों के दामों में गिरावट से अमेरिकी किसान खुद को संकट से घिरता देख रहे हैं। किसान समर्थक संगठनों की पहल पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप किसानों के लिए 12 अरब डॉलर का एक पैकेज लेकर आए हैं, लेकिन उसे इसलिए नाकाफी माना जा रहा है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन की व्यापार नीतियों से प्रभावित देशों और खासकर चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा दिए हैं। इससे अमेरिकी किसानों की आमदनी में कमी तय मानी जा रही है। वे पहले से ही खेती की लागत में वृद्धि, कृषि कर्ज भुगतान में देरी और मौसम की प्रतिकूलता से जूझ रहे हैं।
अमेरिका में किसानों की आर्थिक-मानसिक समस्याओं का निदान करने वाले संगठनों और अन्य किसान हितैषी समूहों के पास परेशान हाल किसानों के फोन आने की संख्या तेजी से बढ़ रही है। एक समय अमेरिका में पूर्व सैनिकों के बीच आत्महत्या की दर सबसे अधिक थी, लेकिन अब उनका स्थान किसानों ने ले लिया है। इसकी मूल वजह खेती पर तरह-तरह के दबाव का बढ़ जाना है। माना जा रहा है कि अगर ट्रंप ट्रेड वार पर लगाम नहीं लगाते तो वह उन किसानों का समर्थन खो सकते हैं जो उनकी जीत में सहायक बने थे। ट्रंप की समस्या यह है कि वह किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए जिस कृषि विधेयक को पारित कराना चाह रहे उस पर विपक्षी डेमोक्रेट सहमत नहीं।
बढ़ रही अखरोट की मांग
पौष्टिक तत्वों से भरपूर अखरोट की दुनिया भर में मांग बढ़ती देखकर अमेरिकी कंपनियों ने अखरोट से मक्खन, दूध, चीज आदि भी बनाना शुरू कर दिया है। कैलिफोर्निया वॉलनट कमीशन भी विभिन्न खाद्य पदाथरें में अखरोट के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए भारत समेत अन्य देशों के डाइटीशियन, शेफ, फूड ब्लॉगरों को अपने साथ जोड़ रहा है।
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