महिला सशक्तिकरण को जागरूक हो समाज
महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल महिला अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई। भारत सरकार ने समाज में लिंग आधारित भिन्नताओं को दूर करने के लिए एक महान निति 'महिला कल्याण नीति'ं अपनाई। महिला सशक्तिकरण का राष्ट्रीय उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास का संचार करना हैं।
नई दिल्ली। महिला सशक्तिकरण की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आठ मार्च,1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से मानी जाती हैं। फिर महिला सशक्तिकरण की पहल 1985 में महिला अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन नैरोबी में की गई। भारत सरकार ने समाज में लिंग आधारित भिन्नताओं को दूर करने के लिए एक महान नीति 'महिला कल्याण नीति' 1953 में अपनाई। महिला सशक्तिकरण का राष्ट्रीय उद्देश्य महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास का संचार करना हैं। महिला सशक्तिकरण देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। महिलाओं का सशक्तिकरण सबसे महत्वपूर्ण चीज है क्योंकि वे रचनाकार होती हैं। अगर आप उन्हें सशक्त करें, उन्हें शक्तिशाली बनाएं, प्रोत्साहित करें, यह देश के लिए अच्छा है। ऐसा करना कोई बड़ी बात नहीं है, ऐसा सदियों से होता आया है। राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष घोषित किया था और महिलाओं को स्वशक्ति प्रदान करने की राष्ट्रीय नीति अपनाई थी। महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, कानूनी और राजनीतिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। ग्रामीण भारत की भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार ने महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ पंचायती राज प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इससे कई महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में निर्वाचित होने का प्रोत्साहन मिला है जो उनके राजनीतिक सशक्तिकरण का संकेत है। राष्ट्रीय नीति का लक्ष्य महिलाओं की उन्नति, विकास और सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है। उसके उद्देश्यों में महिलाओं के विकास के लिए सकारात्मक आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों के माध्यम से ऐसा अनुकूल माहौल तैयार करना है जिससे महिलाएं अपनी क्षमता को साकार कर सकें तथा स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, रोजगार, समान पारिश्रमिक एवं सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठा सकें। भारत में कई महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण की राह में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हर क्षेत्र में महिलाओं ने वाकई अच्छे काम कर रही है चाहे वो मनोरंजन का क्षेत्र हो या शिक्षा का क्षेत्र। ग्रामीण क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान अलग-अलग रहता है। हस्तशिल्प से संबंधित वस्तुओं के उत्पादन एवं विक्रय में महिलाओं ने परम्परागत रूप से सक्रिय योगदान दिया। दिन ब दिन होने वाली महिलाओं के ऊपर शोषण की कहानी इस तस्वीर को बर्बाद कर देती है। आज महिलाएं न तो घर में सुरक्षित है और बाहर। अगर सशक्तिकरण की बात करें तो भारत के कई हिस्सों में महिलाओं को शिक्षा से दूर रखने पर जोर दिया जाता है। चन्द मुठ्ठी भर महिलाओं के उत्थान करने से पूरे नारी समाज का कल्याण नहीं हो सकता है। अगर महिलाओं को सशक्त करना है तो पहले समाज को जागरुक करना होगा।
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