ऐतिहासिक महत्व के मालदा जिले पर पर्यटन विभाग की नजर
बिहार, बंगाल व उड़ीसा की राजधानी था मालदा का टंाड़ा क्षेत्र
-गौड़ पर 34 राजाओं ने किया शासन
मालदा, संवाद सूत्र : ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से पूर्ण मालदा जिले का हाल ही में दो सौ वर्ष पूरे हुए। बंगाल, बिहार व उड़ीसा की तीन-तीन राजधानी व राजा की कहानी को समेटे मालदा को लेकर राज्य पर्यटन विभाग ने नया आयाम बनाने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है। इस जिले की ऐतिहासिक महत्व को नये सिरे से लोगों के परिचय कराने के उद्देश्य से पर्यटन विभाग ने यहां आंचलिक कार्यालय खोलने का निर्णय लिया है। 1913 में अंग्रेजों ने पूर्णिया, दिनाजपुर व राजशाही से कई थानों को लेकर इस जिले की स्थापना की। यहां बंगाल, बिहार व उड़ीसा एवं पूर्व भारत के तीन राजाओं की राजधानी थी। यह भूमि अब तक गौड़, पांडुवा का महत्व का निर्वाह करते आ रहा है। प्राचीन काल में गौड़ मालदा की राजधानी थी। बाद में मुस्लिम शासन के समय इसका विस्तार हुआ यह बंगाल, बिहार व उड़ीसा की राजधानी बनी। इसके ध्वंसावशेष आज भी विद्यमान हैं। इनमें बड़ कोना मस्जिद या बारोद्वारी, मालदा शहर से करीब 40 किमी दक्षिण में इंग्लिशबाजार थाना क्षेत्र के रामकेली के पास यह स्मारक स्थित है। मस्जिद का बारह दरवाजा होने पर उसे लोग बारहद्वारी कहते हैं। मालदा शहर से केवल 20 किमी पर इंग्लिशबाजार थाने के मोहदीपुर में लुकोचुरी दरवाजा। सुल्तान नसिरुद्दीन शह के शासन काल 1504 में यह बना। साढ़े 48 फीट लंबा व 13 फीट चौड़ा इस दरवाजे के चारों तरफ सुंदर बागान था जहां सुल्तान अपने प्रियजनों के साथ लुकाछिपी खेलते थे। रामकेली का भी ऐतिहासिक महत्व कुछ अलग ही है। स्वयं श्रीश्री चैतन्य देव इस पीठ पर आए थे। उनका पद चिन्ह आज भी यहां देखा जा सकता है। इस भूमि पर इस्लाम के साथ-साथ हिंदू व वैष्णव धर्म का उत्थान किसी भी कीमत पर कम नहीं था। जिसका उदाहरण है गाजोल का अदिना मस्जिद। दिल्ली की जामा मस्जिद के बाद द्वितीय वृहद मस्जिद है अदिना मस्जिद। सिकंदर शाह ने इस मस्जिद का निर्माण किया। इस मस्जिद का मुख्य आकर्षण है यहां की वास्तुकला। जिसमें हिंदू, बौद्ध व जैन वास्तुकला का मिश्रण है। गौड़ के ध्वंस के बाद पांडुवा मुसलमान शासन की दूसरी राजधानी बना। 1400 में इलियासशाही वंश की राजधानी बनी पांडुवा। पांडुवा के बाद मालदा के टाड़ा नामक एक इलाका बिहार-बंगाल व उड़ीसा की राजधानी बनी। वर्तमानम में कालियाचक के जालुयाबाधाल अंचल इस इलाके में है। इतना ही नहीं गौड़ में करीब 34 राजाओं ने शासन किया। गौड़ के बाद पांडुवा इसके बाद फिर गौड़ और बाद में टांड़ा मुस्लिम शासन की राजधानी बनी जो बाद में मुर्शिदाबाद में स्थानांतरित हो गया। आश्चर्य की बात है कि भारत वर्ष में कहीं भी एक भूमि पर तीन-तीन वंश के शासन करने व राजधानी बनाने का एक मात्र उदाहरण गौड़ ही है। मालदा जिले के इस इतिहास को ध्यान में रखते हुए पर्यटन उद्योग में एक नया आयाम जुड़ गया है। पर्यटन मंत्री कृष्णेन्दु नारयण चौधरी ने बताया कि मालदा को केंद्र बनाते हुए मुर्शिदाबाद व उत्तर दिनाजपुर एवं दक्षिण दिनाजपुर को लेकर एक आंचलिक विभाग बना रहे हैं इसका काम शुरू भी हो चुका है। इस कार्यालय के खुल जाने से परियोजना के मुताबिक विभिन्न क्षेत्रों में विकास के माध्यम से मालदा व मुर्शिदाबाद को विश्व के पर्यटन मानचित्र में विशेष स्थान पर पहुंचा दिया जाएगा।
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