बंगाल में SIR की तैयारी, दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी को छोड़ सभी जिलों में वोटर लिस्ट मैपिंग का कार्य पूरा
राष्ट्रीय चुनाव आयोग द्वारा राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) की घोषणा की संभावना है। वोटर लिस्ट मैपिंग में सीमावर्ती जिलों में विसंगतियां पाई गई हैं। कई जिलों में 2002 और 2025 की मतदाता सूचियों में कम समानता है। विपक्ष ने सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ का आरोप लगाया है।

दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी को छोड़ सभी जिलों में वोटर लिस्ट मैपिंग का कार्य पूरा (प्रतिकात्मक तस्वीर)
राज्य ब्यूरो, जागरण कोलकाता। राष्ट्रीय चुनाव आयोग जल्द ही राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) शुरू करने की घोषणा कर सकता है। इसे लेकर अटकलें तेज हैं। ऐसे में वोटर लिस्ट की 'मैपिंग और मिलान' में जो तस्वीर सामने आई है, वह राज्य के सीमावर्ती जिलों को लेकर सवाल खड़े कर रही है।
दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिलों को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में मैपिंग का काम पूरा हो चुका है। वहीं जो 'बेमेल' वोटरों के नाम सामने आए हैं, वह कई सवाल खड़े कर रहा है।
सूची मिलान के मैपिंग का काम
राज्य में 2002 की मतदाता सूची और 2025 की मतदाता सूची के मिलान के लिए मैपिंग का कार्य चल रहा है। वहां देखा जा रहा है कि उत्तर 24 परगना, कूचबिहार, पश्चिम बर्द्धणान में मैपिंग 50 प्रतिशत से कम है, यानी 2002 की मतदाता सूची और 2025 की सूची में 50 प्रतिशत से भी कम समानता है। इन जिलों में, 2025 की मतदाता सूची में शामिल 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता 2002 की सूची में नहीं थे।
दक्षिण 24 परगना में यह समानता केवल 50 प्रतिशत है। पश्चिम बर्द्धमान के सीमावर्ती क्षेत्र में मैपिंग 40 प्रतिशत से कम है। यानी, वर्तमान मतदाता सूची में 60 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं के नाम 2002 के बाद दिखाई दिए। कूचबिहार में 46 प्रतिशत मिलान पाया गया। कलिम्पोंग में भी 60 प्रतिशत मिलान पाया गया। दुखद तस्वीर उत्तर 24 परगना की है। वहां 41 प्रतिशत मिलान पाया गया।
आयोग ने दिया तर्क
आयोग का तर्क है कि मृत मतदाताओं और निवासियों के अन्य स्थानों पर चले जाने के कारण मैपिंग का 100 प्रतिशत मिलान संभव नहीं है। हालांकि, उन जिलों को लेकर सवाल उठे हैं जहां 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदाताओं के नाम 2002 के बाद दिखाई दिए।
सीमावर्ती जिलों में घुसपैठ
विपक्ष का आरोप है कि सीमावर्ती जिलों में घुसपैठ बढ़ रही है। सवाल यह है कि क्या घुसपैठियों की वजह से मैपिंग में इतनी गड़बड़ी हो रही है। इसके बाद अटकलें शुरू हो गई हैं कि अगर एसआइआर होता है तो इन सीमावर्ती जिलों में कितने नाम हटेंगे? हालांकि, राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी ने चेतावनी दी है कि अगर किसी वैध मतदाता का नाम एसआइआर से छूटा भी तो वे सड़कों पर उतरेंगे।
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