'मोदी-दीदी सेटिंग' के आरोप पर BJP बोली- 2026 में ओडिशा फॉर्मूला से देंगे जवाब; क्या है पुरी प्रसादी-मुलाकात स्ट्रेटजी?
बंगाल में सेटिंग के आरोप पर भाजपा ने माकपा को जवाब दिया है। भाजपा का कहना है कि नवीन पटनायक और पीएम मोदी के अच्छे संबंध थे लेकिन भाजपा ओडिशा में सत्ता में आई। भाजपा का मानना है कि बंगाल में भी वह तृणमूल को हटा सकती है। माकपा का कहना है कि भाजपा तृणमूल को बनाए रख रही है ताकि वामपंथी सरकार में न आ सकें।
जयकृष्ण वाजपेयी, कोलकाता। बंगाल में मोदी-दीदी में ‘सेटिंग’ का आरोप भाजपा को राजनीतिक बहस में बार-बार परेशानी में डालता रहा है। क्या वाकई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी में कोई साठ-गांठ है?
बंगाल की राजनीति में कोई छिपा हुआ समीकरण या फॉर्मूला तो नहीं है, जिस कारण केंद्र में ‘मोदी और बंगाल में दीदी’ की बात प्राय: सियासी गलियारे और लोगों के बीच चर्चा में उठती रहती है।
माकपा की ओर से इस आरोप को स्थापित करने की पूरी कोशिश होती रही है। दूसरी ओर भाजपा लगातार इस थ्योरी का खंडन करती आई है, लेकिन अभी तक वह उपयुक्त जवाब नहीं दे पा रही थी।
इस माहौल में अब पार्टी कार्यकर्ताओं के एक वर्ग को लग रहा है कि भाजपा नेतृत्व ने हाल में संपन्न कालीगंज विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के दौरान ‘सेटिंग’ थ्योरी का उपयुक्त जवाब ढूंढ़ लिया है।
इस वर्ग को उम्मीद है कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले इस थ्योरी के काट के रूप में इस जवाब को कार्यकर्ताओं व आम लोगों तक पहुंचा दिया जाएगा और यह भाजपा के प्रति लोगों और कार्यकर्ताओं की धारणा को बदलने में काफी मदद करेगा।
चाय की दुकान पर क्या कहते हैं लोग?
गत 19 जून को नदिया जिले की कालीगंज विधानसभा सीट का उपचुनाव था। प्रचार के दौरान संगठनात्मक तैयारियों को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश भाजपा महासचिव (संगठन) अमिताभ चक्रवर्ती कालीगंज गए थे। वहां एक भाजपा कार्यकर्ता ने उनसे ‘सेटिंग’ थ्योरी के बारे में सवाल पूछ लिया।
अमिताभ क्षेत्र के मंडल कार्यकर्ताओं व नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे। वहां कार्यकर्ता ने उनसे कहा, ‘चाय की दुकान पर हर कोई कहता है कि दीदी-मोदी में सेटिंग है। ऐसी चर्चा से हमलोगों को बहुत कठिनाई हो रही है। हम आम लोगों को समझा नहीं पा रहे हैं।’
इस पर अमिताभ ने ओडिशा का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि बंगाल से पहले वे ओडिशा में भाजपा के संगठन प्रभारी थे। वहां के तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हर महीने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलते थे और उनके लिए भगवान जगन्नाथ का प्रसाद भी लेकर जाते थे।
उन्होंने आगे कहा- हर कोई कहता था कि नवीन-मोदी में सेटिंग है। केंद्र में मोदी, राज्य में नवीन। ओडिशा में कई लोग कहते थे कि जब तक नवीन जिंदा हैं, तब तक ओडिशा में भाजपा सत्ता में नहीं आएगी, लेकिन भाजपा वहां जीतने के अपने दृढ़ निश्चय पर अड़ी रही। नवीन को हटाकर ओडिशा में भाजपा की सरकार बनाकर पार्टी ने साबित कर दिया है कि सेटिंग का प्रचार झूठा था। बंगाल में भी यह साबित हो जाएगा।
भाजपा का क्या मानना है?
‘सेटिंग’ थ्योरी को झुठलाने का ऐसा उदाहरण और जवाब भाजपा की तरफ से पहले कभी नहीं सुना गया। इतने लंबे समय से जब भी इस बारे में सवाल उठते थे तो भाजपा कार्यकर्ता तृणमूल के साथ अपने विभिन्न विवादों का उल्लेख कर उन्हें सेटिंग न होने के साक्ष्य के तौर पर पेश करते थे। वे सीबीआई-ईडी की कार्रवाइयों की बात करते थे। वे खर्च का हिसाब नहीं देने पर विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का फंड रोक दिए जाने की भी याद दिलाते थे।
वे राज्यभर में भाजपा कार्यकर्ताओं पर तृणमूल के ‘अत्याचार’ के उदाहरण देते थे, लेकिन उनके पास और कोई ठोस साक्ष्य नहीं था। भाजपा में कई लोगों का मानना है कि अमिताभ कालीगंज में वह ‘साक्ष्य’ देने में सफल हुए हैं।
क्या बोले- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष?
प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष निर्वाचित होने से पहले शमिक भट्टाचार्य ने कहा था कि आगामी बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों को निर्धारित करने में सेटिंग थ्योरी कोई भूमिका नहीं निभाएगी। शमिक अमिताभ के उदाहरण को उचित मानते हैं।
उनके अनुसार, माकपा द्वारा बनाई गई थ्योरी 2026 के विधानसभा चुनाव में प्रासंगिक नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अगर कोई तृणमूल को हटा सकता है तो वह भाजपा है। बंगाल का हर व्यक्ति यह जानता है। इस मनगढ़ंत थ्योरी का 2026 के चुनाव पर कोई असर नहीं होगा। जैसा कि उम्मीद थी, तृणमूल का भी इस मामले में लगभग यही सुर है।
पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार का प्रश्न है कि क्या कागज पर इस तरह के विभिन्न सिद्धांत गढ़कर वोट मिल सकता है? किसी पार्टी के साथ खुला समझौता या गठबंधन हो तो अलग बात है, लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो किसकी किसके साथ साठगांठ है, क्या इस तरह की कहानियां सुनाकर लोगों से वोट ले सकते हैं?
किसने बनाई सेटिंग थ्योरी?
सेटिंग थ्योरी के जनक माकपा के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम का कहना है, ‘अमिताभ चक्रवर्ती ने जो कहा है, वह कोई जवाबी तथ्य नहीं है। यह वास्तव में हमारे सिद्धांत को और पुख्ता करने के लिए है।
ओडिशा में बीजद और भाजपा ने कभी एक-दूसरे के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई नहीं लड़ी और संसद में भी हमेशा साथ रहे। मोदी-नवीन के बीच अच्छे संपर्क रहे। भाजपा इस तरह से कई पार्टियों को निगल चुकी है। बंगाल में भी ऐसा ही होने वाला है।’
मोहम्मद सलीम ने क्या कहा?
इस राज्य में भाजपा ने तृणमूल को सत्ता में बनाए रखा है, ताकि वामपंथी सरकार में न आ सकें। एक तरफ वह तृणमूल को बनाए रख रही है, दूसरी तरफ खुद को मजबूत कर रही है। जब उसे समझ में आएगा कि तृणमूल को और बनाए रखने की जरूरत नहीं है तो वह उसे हटा देगी और फिर तृणमूल का एक हिस्सा भाजपा में शामिल हो जाएगा। - मोहम्मद सलीम, प्रदेश सचिव, माकपा
माकपा नेता की ये बातें केवल थ्योरी ही लग रही हैं। आज वामदल बंगाल में अपना वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। भाजपा का जवाब कितना उपयुक्त है, यह भी आगामी वर्ष पता चल जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।