‘मृत्युकुंभ’ वाली टिप्पणी पर गहराया विवाद, तो बोलीं ममता बनर्जी- सभी धर्मों का सम्मान, लेकिन...
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान करती हैं। उनका ये बयान हाल ही में महाकुंभ को मृत्युकुंभ बताने वाली अपनी टिप्पणी के बाद आया है। बता दें कि मंगलवार को बंगाल विधानसभा में ममता ने कहा था कि यह आयोजन मृत्युकुंभ में बदल गया है। इस पर काफी बवाल मचा था।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। महाकुंभ को मृत्युकुंभ बताने वाली अपनी टिप्पणी से उपजे विवाद के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान करती हैं।
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने इस बात पर जोर दिया कि धर्म किसी एक व्यक्ति का हो सकता है, लेकिन धार्मिक उत्सव सभी के लिए होते हैं। ममता ने मंगलवार को बंगाल विधानसभा में प्रयागराज में जारी महाकुंभ मेले के प्रबंधन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना की थी।
ममता ने दिया आरोपों पर जवाब
उन्होंने कहा था कि यह आयोजन मृत्युकुंभ में बदल गया है, जिसमें भगदड़ की घटनाओं में लोगों की जान जा रही है। ममता ने अधिकारियों पर मृतकों की वास्तवित संख्या छिपाने का आरोप भी लगाया था। भाजपा मुख्यमंत्री की इस टिप्पणी को लेकर उन पर हमलावर है।
ममता ने कहा कि किसने कहा कि मैं अपने धर्म का सम्मान नहीं करता? याद रखिए, धर्म एक व्यक्ति का होता है, लेकिन त्योहार सभी के लिए होते हैं। हमारे देश में कई राज्य हैं और हर राज्य की भाषा, शिक्षा, रहन-सहन, संस्कृति और मान्यताएं अलग-अलग हैं।
ममता बोलीं- मानवता मेरा विषय
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन हम सभी संस्कृतियों का सम्मान करते हैं। इसीलिए विविधता में एकता हमारा दर्शन और विचारधारा है। मुख्यमंत्री यहां न्यूटाउन में नारायण हेल्थ सिटी की आधारशिला रखने के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि कभी-कभी लोग मुझसे पूछते हैं कि आप पुरुष हैं या महिला, तो मैं जवाब देती हूं कि मैं खुद को इंसान मानती हूं और मानवता मेरा विषय है।
भाजपा ने साधा था निशाना
- बता दें कि ममता के बयान की भाजपा ने आलोचना करते हुए कहा था कि यह इस मामले में उनकी संवेदनशीलता से कहीं अधिक राजनीतिक लाभ अर्जित करने की उनकी संतुष्टि को दर्शाती है।
- भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा था कि उनकी टिप्पणी विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए की उस भावना को दर्शाती है, जो पूर्व में सनातन धर्म के उन्मूलन पर एक सम्मेलन में प्रकट हुई थी, जिसमें हिंदी की पवित्र पुस्तकों को जलाया गया था और सनातन धर्म की तुलना एचआईवी, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से की गई थी।
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