'TMC और BJP के बीच कोई झगड़ा नहीं', नेपाल हिंसा को लेकर ममता बनर्जी ने ऐसा क्यों कहा?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक मतभेद रहे हैं लेकिन नेपाल में हालिया अशांति के कारण दोनों को सीमा सुरक्षा पर मिलकर काम करना पड़ रहा है। नेपाल के साथ पश्चिम बंगाल की सीमा लगभग 100 किलोमीटर लंबी है जिसमें सिलीगुड़ी का संवेदनशील चिकन्स नेक इलाका भी शामिल है। सीमा पर चौकसी बढ़ा दी गई है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र की बीजेपी सरकार के बीच सियासी जंग तो पुरानी बात है। 2026 के विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही यह तल्खी और बढ़ी है। मगर पड़ोसी देश नेपाल में हाल की अशांति ने इस सियासी दुश्मनी को एक तरफ धकेल दिया है। दोनों पक्षों को अब मजबूरी में एक 'सुरक्षा सुलह' करनी पड़ी है, ताकि सीमा पर चौकसी बरकरार रहे।
पश्चिम बंगाल का नेपाल के साथ करीब 100 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है। इसमें सिलिगुड़ी का संवेदनशील 'चिकन्स नेक' इलाका भी शामिल है। नेपाल में 'जेन ज़ी' विरोध प्रदर्शनों ने सियासी उथल-पुथल मचाई, जिसके बाद भारत ने अपनी सीमा पर निगरानी तेज कर दी है।
ममता बनर्जी ने साफ कहा, "राष्ट्रीय हित के मसले पर तृणमूल और बीजेपी का कोई झगड़ा नहीं। हमें देश की सुरक्षा के लिए एकजुट रहना होगा।" दूसरी तरफ, हाल ही में बंगाल दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सियासी तकरार का जिक्र नहीं किया। यह पहली बार है जब दोनों पक्षों ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एकजुटता दिखाई है।
सीमा पर बढ़ाई गई चौकसी
नेपाल में सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार बनने के बाद भी भारत ने सीमा पर सतर्कता कम नहीं की। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की तैनाती बढ़ाई गई है, सेना की निगरानी तेज हुई है और सशस्त्र सीमा बल (SSB) बंगाल पुलिस के साथ मिलकर पानीटंकी ब्रिज की निगरानी कर रहा है, जो भारत और नेपाल को जोड़ता है। केंद्र और राज्य सरकार के बीच खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान भी तेज हो गया है।
एनडीटीवी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की अपनी खुफिया इकाई सक्रिय है और इसके निष्कर्ष नियमित रूप से प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को भेजे जा रहे हैं। राज्य पुलिस प्रमुख राजीव कुमार खुफिया रिपोर्ट्स तैयार कर रहे हैं, जबकि मुख्य सचिव केंद्र के साथ तालमेल बनाए हुए हैं।
हाल ही में कोलकाता के फोर्ट विलियम में एक अहम बैठक हुई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने हिस्सा लिया। यह बैठक पूर्वी कमान मुख्यालय में हुई, जिसमें सीमा सुरक्षा पर गहन चर्चा हुई।
चीन का साया?
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, काठमांडू के बाजारों में चीनी मुद्रा का चलन देखा गया है। इससे नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव की आशंका जताई जा रही है।
हालांकि, हाल ही में एससीओ बैठक के बाद भारत और चीन के रिश्तों में सुधार हुआ है, मगर खुफिया एजेंसियां सतर्क हैं। नेपाल की अशांति और चीनी प्रभाव की खबरों ने भारत को और सजग कर दिया है। सीमा पर निगरानी बढ़ाने के साथ-साथ खुफिया तंत्र को और मजबूत किया गया है।
इस बीच, राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने नेपाल सीमा का दौरा किया। ममता बनर्जी ने सुरक्षा चिंताओं के चलते उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी थी, लेकिन राज्यपाल के अड़ने पर उन्होंने पुलिस के साथ मिलकर पूरी व्यवस्था की। बोस ने फसीदेवा इलाके में सीमा की बाड़बंदी का जायजा लिया और सुरक्षा बलों से बातचीत भी की है।
राष्ट्रीय हित में एकजुटता
नेपाल की स्थिति ने बंगाल और केंद्र को एक मंच पर ला खड़ा किया है। यह सुलह भले ही मजबूरी में हुई हो, लेकिन यह दिखाता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर सियासी मतभेद पीछे छूट सकते हैं।
सीमा पर बढ़ती सतर्कता और खुफिया तालमेल इस बात का सबूत है कि भारत अपनी सुरक्षा को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहता।
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