बंगाल में IOCL के प्लांट पर हिंसा, प्रदर्शनकारियों ने गैस सिलेंडरों से लीक कर दी LPG; मोटरसाइकिलों में भी तोड़फोड़
दक्षिण 24 परगना के बजबज में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के एलपीजी बॉटलिंग प्लांट में ट्रक चालकों ने बकाया भुगतान की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की और ईंधन फैलाया जिसके बाद पुलिस ने 40 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया। ट्रक चालकों का दावा है कि उन पर हमला हुआ था और बकाया राशि पर बातचीत के लिए बुलाई गई बैठक में विवाद हुआ।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के बजबज इलाके में स्थित इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के एलपीजी बॉटलिंग प्लांट में मंगलवार रात ट्रक चालकों ने लंबित बकाये की मांग पर हिंसक विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान कई मोटरसाइकिलों में तोडफ़ोड़ की गई, गैस सिलेंडर के नॉब खोले गए और सड़कों पर ईंधन फेंका गया।
पुलिस ने इस मामले में 40 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। दूसरी तरफ ट्रक चालकों का कहना है कि उनपर कुछ लोगों ने हमला किया था, जिसके विरोध में उन्होंने प्रदर्शन किया। उनके लंबित बकाये पर चर्चा के लिए तृणमूल कांग्रेस नेता और बजबज के पार्टी पर्यवेक्षक जहांगीर खान के कार्यालय में बैठक बुलाई गई थी।
रैपिड एक्शन फोर्स उतारनी पड़ी
उसी समय कुछ बदमाशों ने उनपर हमला कर दिया। इसी के प्रतिवाद में उन्होंने प्रदर्शन किया। सूत्रों ने बताया कि हिरोध-प्रदर्शन की सूचना मिलने पर बजबज थाने से पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी मौके पर पहुंची थी। रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) को भी उतारा गया था।
एक ट्रक चालक ने बताया- 'यहां 300 चालक और उनके 300 सहायक काम करते हैं। प्रत्येक चालक का एक लाख रुपये से अधिक बकाया है। प्रबंधन बकाये के मात्र 40 प्रतिशत का भुगतान करना चाहता है, जो हमें स्वीकार्य नहीं है। बकाये को लेकर एक सप्ताह में तीन बैठकें हो चुकी हैं लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।'
सुवेंदु अधिकारी ने की निंदा
- डायमंड हार्बर के पुलिस अधीक्षक राहुल गोस्वामी ने कहा कि घटना की जांच शुरू कर दी गई है। इलाके में व्याप्त तनाव के कारण पुलिस ने इलाके में पिकेट स्थापित किया है। स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है। अपराधियों की पहचान करने के लिए वहां लगे सीसीटीवी कैमरों के वीडियो फुटेज को खंगाला जा रहा है।
- इस बीच भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने घटना की निंदा करते हुए इसे तृणमूल की सिंडिकेट संस्कृति के नियंत्रण से बाहर होने का ज्वलंत उदाहरण बताया।
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