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    विद्युतकर्मियों का आज राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन, बिजली निजीकरण के विरोध में सड़क पर उतरेंगे लाखों कर्मचारी

    By Jagran NewsEdited By: Sakshi Gupta
    Updated: Wed, 02 Jul 2025 06:00 AM (IST)

    लखनऊ में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन किया। किसान यूनियन ने भी समर्थन किया है। कर्मचारियों ने निजीकरण के टेंडर के दिन से जेल भरो आंदोलन की चेतावनी दी है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाया और नियामक आयोग में वाद दायर करने की बात कही।

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    बिजली निजीकरण के विरोध में आज राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ बिजलीकर्मी बुधवार को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे। क्रांतिकारी किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. दर्शन पाल ने किसानों व खेतिहर मजदूरों से बिजलीकर्मियों के इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन करने की अपील की है।

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    नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स ने बुधवार को सभी राज्यों के बिजलीकर्मियों से जिलों और बिजली परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का दावा है कि उत्तर प्रदेश के सभी बिजलीकर्मी विरोध प्रदर्शन में सड़कों पर उतरेंगे।

    जिस दिन निजीकरण का टेंडर होगा उसी दिन से समस्त बिजलीकर्मी तत्काल अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार प्रारंभ कर जेल भरो आंदोलन शुरू कर देंगे।

    क्रांतिकारी किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव शशिकांत ने यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. दर्शन पाल द्वारा किसानों व खेतिहर मजदूरों से बिजलीकर्मियों के विरोध प्रदर्शन व आंदोलन को समर्थन दिए जाने की अपील किए जाने की जानकारी दी है।

    अधिनियम के उल्लंघन मामले में नियामक आयोग में दायर होगा वाद

    राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण के मसौदे में विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 131 (2) का उल्लंघन किया है। पावर कारपोरेशन प्रबंधन को कानून का ज्ञान नहीं है। नियामक आयोग के अध्यक्ष के छुट्टी से लौटने पर उपभोक्ता परिषद विद्युत अधिनियम-2003 के उल्लंघन के मामले आयोग में वाद दायर करेगा।

    उन्होंने कहा है कि विद्युत अधिनियम के तहत बिजली कंपनियों की 25 साल के राजस्व क्षमता का आंकलन करते हुए परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करना होता है। प्रबंधन ने ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि इससे बिजली कंपनियों की कीमत बहुत बढ़ जाती।

    उन्होंने कहा है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन सरकार के माध्यम से विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 131, 132, 133, 134 में 42 जिलों की बिजली का निजीकरण कराना चाहता है। सरकार इस धारा का प्रयोग पहले ही बिजली कंपनियों के विघटन के समय कर चुकी है। इन धाराओं का प्रयोग सिर्फ एक बार ही किया जा सकता है, जो सरकार कर चुकी है।