HC के आदेश के बाद भी आयोग ने नामांकन किया खारिज, 82 ISF प्रत्याशी फिर पहुंचे कोर्ट; मंगलवार को होगी सुनवाई
महानगर से सटे दक्षिण 24 परगना जिले के भांगड़ में 82 पंचायत प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ने का मौका देने की मांग को लेकर सोमवार को फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनमें से प्रत्येक ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट(आइएसएफ) की ओर से नामांकन दाखिल किया था लेकिन नामांकन जमा करने के बाद अचानक राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट से उनका नाम हटा दिया गया।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। महानगर से सटे दक्षिण 24 परगना जिले के भांगड़ में 82 पंचायत प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ने का मौका देने की मांग को लेकर सोमवार को फिर से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उनमें से प्रत्येक ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट(आइएसएफ) की ओर से नामांकन दाखिल किया था, लेकिन नामांकन जमा करने के बाद अचानक राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट से उनका नाम हटा दिया गया।
इस शिकायत के साथ उन्होंने हाई कोर्ट पहुंचे थे और कुछ दिन पहले ही न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने आयोग को 82 आइएसएफ उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की अनुमति देने का निर्देश दिया था, लेकिन आइएसएफ प्रत्याशियों का आरोप है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद आयोग ने उनके आवेदन खारिज कर दिए हैं।
मंगलवार को होगी मामले की सुनवाई
इन आइएसएफ उम्मीदवारों के वकील फिरदौस शमीम ने सोमवार दोपहर को इस संबंध में न्यायमूर्ति सिन्हा का ध्यान आकर्षित किया। मामले की सुनवाई मंगलवार को होगी। 26 जून को जस्टिस सिन्हा की बेंच में भांगड़ के 82 आइएसएफ प्रत्याशियों का मामला सुनवाई के लिए आया था। उस दिन याचिकाकर्ताओं की ओऱ से न्यायाधीश को बताया गया था कि नामांकन जमा करने के बाद उनके नाम आयोग की वेबसाइट पर थे। लेकिन नामांकन वापस लेने की तिथि बीतने के बाद देखा गया कि आयोग की वेबसाइट पर अब उनके नाम नहीं हैं।
कोर्ट ने मामले में क्या कहा था?
आइएसएफ उम्मीदवारों के आवेदन पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति सिन्हा ने आयोग से कहा कि राज्य चुनाव आयोग उन उम्मीदवारों की शिकायतों की जांच करने के बाद 48 घंटे के भीतर निर्णय ले और यदि शिकायतें सही हैं, तो आयोग उन्हें चुनाव में भाग लेने की अनुमति दे। परंतु, उम्मीदवारों ने शिकायत की कि इसके बाद जब उन्होंने आयोग में दोबारा आवेदन किया तो आवेदन खारिज कर दिया गया।
आयोग की वेबसाइट से नाम हटाने के बाद दर्ज हुई थी शिकायत
गौरतलब है कि आइएसएफ उम्मीदवारों की तरह भांगड़ के 19 माकपा उम्मीदवारों ने भी शिकायत की थी कि नामांकन जमा करने के बाद उनका नाम आयोग की वेबसाइट से हटा दिया गया। उस मामले में भी न्यायमूर्ति सिन्हा ने 19 माकपा उम्मीदवारों को फिर से चुनाव लड़ने का आदेश दिया था, लेकिन जब आयोग उस आदेश को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय की खंडपीठ के पास गया, तो उन्होंने न्यायमूर्ति सिन्हा के आदेश को खारिज कर दिया था। अब देखना है कि इस मामले में क्या होता है?
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