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    विश्वकर्मा योजना में हथकरघा क्षेत्र को शामिल न करना केंद्र का बंगाल के प्रति सौतेला व्यवहार - मंत्री सिन्हा

    By Jagran NewsEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Sun, 17 Sep 2023 04:06 PM (IST)

    बंगाल सरकार में मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने आरोप लगाया है कि पीएम विश्वकर्मा योजना में हथकरघा क्षेत्र को शामिल न किया जाना राज्य के प्रति केंद्र का सौतेला व्यवहार दर्शाता है। सिन्हा ने कहा कि बंगाल में हथकरघा उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 6.5 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कराता है। उन्होंने कहा कि योजना के पहले चरण में घोषित 18 पारंपरिक व्यवसायों में हथकरघा गायब है।

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    केंद्र पर बरसे बंगाल सरकार के मंत्री (फाइल फोटो)

    कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME) मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा ने आरोप लगाया है कि 'पीएम विश्वकर्मा योजना' (PM Vishwakarma Scheme) में हथकरघा क्षेत्र को शामिल न किया जाना राज्य के प्रति केंद्र का 'सौतेला व्यवहार' दर्शाता है।

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    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर रविवार को 'पीएम विश्वकर्मा' योजना की शुरुआत की। इसका उद्देश्य देशभर के कारीगरों और शिल्पकारों की मदद करना है।

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    क्या कुछ बोले चंद्रनाथ सिन्हा?

    सिन्हा ने कहा कि बंगाल में हथकरघा उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 6.5 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कराता है, लेकिन इस क्षेत्र को योजना में शामिल न करके केंद्र ने एक बार फिर राज्य के साथ सौतेला व्यवहार किया है। उन्होंने कहा,

    योजना के पहले चरण में घोषित 18 पारंपरिक व्यवसायों में हथकरघा गायब है।

    बता दें कि इस योजना का उद्देश्य 18 तरह के पारंपरिक व्यवसायों में लगे कारीगरों को कौशल प्रशिक्षण, ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता प्रदान करना है।

    कारीगरों की मदद कर रहीं ममता सरकार की यह योजनाएं

    एमएसएमई मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने कारीगरों की मदद के लिए पहले ही कई तरह की योजनाएं लागू की हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल कारीगर और शिल्पकार विकास योजना और पश्चिम बंगाल शिल्प हाट योजना शामिल हैं।

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    दरअसल, केंद्र सरकार ने 'पीएम विश्वकर्मा योजना' को शुरू करने की घोषणा केंद्रीय बजट 2023-24 में की थी। इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक वित्तीय परिव्यय 13,000 करोड़ रुपये रखा गया है।

    'पीएम विश्वकर्मा' के तहत 18 पारंपरिक शिल्पों के कलाकारों को शामिल किया गया है, जिनमें बढ़ई (सुथार), नाव निर्माता, अस्त्रकार, लोहार, ताला बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार (पत्थर तराशने वाले), फुटवियर कारीगर, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू बनाने वाले, पांरपरिक खिलौना बनाने वाले, नाई आदि शामिल हैं।

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