West Bengal Politics: संसद के विशेष सत्र से पहले अस्पष्ट एजेंडे, ममता बनर्जी की अनुपस्थिति से जूझ रही TMC
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A के महत्वपूर्ण घटकों में से एक तृणमूल कांग्रेस को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि 18 से 22 सितंबर तक होने वाले संसद के विशेष सत्र में क्या होने जा रहा है। इस तरह की अनभिज्ञता के पीछे पहला स्पष्ट कारण विशेष सत्र का अस्पष्ट एजेंडा है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A के महत्वपूर्ण घटकों में से एक तृणमूल कांग्रेस को इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि 18 से 22 सितंबर तक होने वाले संसद के विशेष सत्र में क्या होने जा रहा है। इस तरह की अनभिज्ञता के पीछे पहला स्पष्ट कारण विशेष सत्र का अस्पष्ट एजेंडा है, हालांकि यह कारक आइएनडीआइए गठबंधन के सभी घटकों के लिए आम है।
ममता बनर्जी की अनुपस्थिति से जूझ रही TMC
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस अनभिज्ञता के पीछे कुछ अन्य कारण भी हैं जो केवल तृणमूल कांग्रेस के लिए हैं। पहला कारण मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ममता बनर्जी की लंबे समय से अनुपस्थिति है, जो हमेशा संसद के किसी भी सत्र से पहले अपनी पार्टी के लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों के लिए रणनीति की रूपरेखा तैयार करती हैं।
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क्या कहते हैं राजनीतिक टिप्पणीकार
राजनीतिक टिप्पणीकार अमल सरकार को लगता है कि एक और कारण हो सकता है कि तृणमूल कांग्रेस विशेष सत्र के लिए अपनी रणनीति को कम प्रोफाइल बना रही है। उन्होंने कहा कि अदाणी समूह से संबंधित हालिया घटनाक्रम की संयुक्त संसदीय समिति की जांच को लेकर तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच मतभेद इसका कारण है। जबकि, कांग्रेस, विशेष रूप से उनके नेता राहुल गांधी, लगातार मामले में जेपीसी जांच पर जोर दे रहे हैं।
तृणमूल कांग्रेस ने जताई आपत्ति
वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने आपत्ति व्यक्त करते हुए दावा किया है कि जांच पैनल से कुछ नहीं निकला है। संभवतः यही कारण है कि राज्य में सत्तारूढ़ दल इस मामले में कम प्रोफाइल बनाए हुए है ताकि कांग्रेस के साथ उसके मतभेद संसद के विशेष सत्र से पहले फिर से सामने न आएं।
विशेष सत्र का पूरा एजेंडा नहीं आया सामने
राज्यसभा में पार्टी के नेता डेरेक ओ ब्रायन पहले ही दावा कर चुके हैं कि चूंकि विशेष सत्र का पूरा एजेंडा अभी तक सामने नहीं आया है, इसलिए ऐसी आशंका है कि केंद्र सरकार बाद में सूची में और अधिक कार्य जोड़ सकती है। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि पार्टी ने अपने सांसदों को विशेष सत्र के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है या नहीं। तृणमूल कांग्रेस ने जो एकमात्र तैयारी शुरू की है, वह मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की चयन प्रक्रिया पर विधेयक से संबंधित है।
ममता बनर्जी ने पार्टी नेताओं को दिया निर्देश
ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी के नेताओं को इस विधेयक का पुरजोर विरोध करने का निर्देश दिया है क्योंकि इसमें सीईसी और ईसी के चयन के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश को पैनल से बाहर करने का प्रस्ताव है। वहीं, डेरेक ओ ब्रायन जैसे तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं की ओर से संकेत मिले हैं कि अगर मौका मिला तो महिला आरक्षण विधेयक और मणिपुर की स्थिति जैसे मुद्दे संसद में उठाए जा सकते हैं।
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