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    संदेशखाली मामले में CBI का सहयोग नहीं कर रही ममता सरकार, कलकत्ता हाईकोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में खुलासा

    Updated: Thu, 02 May 2024 04:29 PM (IST)

    CBI status report in Sandeshkhali case संदेशखाली मामले में सीबीआई ने ममता सरकार पर बड़े आरोप लगाए हैं। सीबीआइ ने हाई कोर्ट से शिकायत की है कि राज्य सर ...और पढ़ें

    CBI status report in Sandeshkhali case ममता सरकार पर लगे नए आरोप।

    जेएनएन, कोलकाता। CBI status report in Sandeshkhali case सीबीआइ ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ के समक्ष सीलबंद लिफाफे में संदेशखाली कांड की जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश की।

    संदेशखाली कांड में सहयोग नहीं कर रही राज्य सरकार

    सीबीआइ ने कोर्ट से शिकायत की है कि राज्य भूमि रिकार्ड से जुड़े मामलों में सहयोग नहीं कर रहा है। उसके मुताबिक जमीन कब्जाने से जुड़ी 900 शिकायतें हैं। यदि राज्य आवश्यक सहयोग प्रदान नहीं करता है, तो जांच में देरी होगी। 

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    मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि राज्य को जांच में आवश्यक सहयोग देना चाहिए। मामले को लेकर सीबीआइ ने राज्य से कुछ दस्तावेज मांगे हैं। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि एक हफ्ते के अंदर वो सभी दस्तावेज सीबीआइ को सौंप दिए जाए।

    एनएचआरसी को भी पक्ष बनाया जाएगा

    कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने संदेशखाली के पूरे मामले में एनएचआरसी (भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) को भी एक पक्ष के रूप में अनुमति दी। पूरे मामले में सीबीआई अपनी जांच शुरू कर चुकी है। अदालत ने कहा कि इस बिंदु पर सीबीआई रिपोर्ट की सामग्री का खुलासा नहीं करना चाहती, क्योंकि जांच अभी भी जारी है और इससे प्रक्रिया को नुकसान हो सकता है।

    अदालत ने यह भी कहा कि वह पूरी जांच की बारीकी से निगरानी करेगी और कहा कि यौन उत्पीड़न के पीड़ितों के भीतर आत्मविश्वास स्थापित होना चाहिए और इसलिए महिला सीबीआई अधिकारियों की एक टीम तैनात की जाएगी।

    13 जून को अगली सुनवाई

    कोर्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डीएम, एसपी और स्थानीय अधिकारियों को पिछले आदेश के 15 दिनों के भीतर सीसीटीवी कैमरे और स्ट्रीट लाइट लगाने को कहा गया था, लेकिन काम की कोई रिपोर्ट पेश नहीं की गई। अधिकारियों से अनुरोध है कि वे तुरंत कार्रवाई करें और सुनवाई की अगली तारीख पर रिपोर्ट जमा करें, अन्यथा कार्रवाई की जा सकती है, क्योंकि यह अदालत की अवमानना होगी।

    अब इस मामले की अगली सुनवाई 13 जून को होगी।