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    Kolkata News: राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस के विरुद्ध विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी में ममता सरकार

    बंगाल की ममता सरकार राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस के क्रियाकलापों पर सवाल उठाते हुए उनके विरुद्ध विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। 22 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे चरण में प्रस्ताव लाकर उसपर चर्चा कराने की योजना है। तृणमूल विधायक व विधानसभा में पार्टी के उप मुख्य सचेतक तापस राय व दो अन्य प्रस्तावक बन सकते हैं।

    By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 18 Aug 2023 06:50 PM (IST)
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    ममता सरकार राज्यपाल के क्रियाकलापों पर सवाल उठाते हुए उनके विरुद्ध विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है।

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल की ममता सरकार राज्यपाल डॉ सीवी आनंद बोस के क्रियाकलापों पर सवाल उठाते हुए उनके विरुद्ध विधानसभा में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। 22 अगस्त से शुरू होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे चरण में प्रस्ताव लाकर उसपर चर्चा कराने की योजना है। तृणमूल विधायक व विधानसभा में पार्टी के उप मुख्य सचेतक तापस राय व दो अन्य प्रस्तावक बन सकते हैं।

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    क्या है मामला?

    उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की आपत्ति के बावजूद राज्यपाल ने राजभवन में 'पश्चिम बंगाल दिवस' का आयोजन किया। इसके अलावा राज्य सरकार से सलाह-मशविरा किए बिना उन्होंने विभिन्न राज्य विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपति की नियुक्ति की। पंचायत चुनाव के समय अभूतपूर्व कदम उठाते हुए राजभवन में 'शांति कक्ष' खोला और मतदान के दिन खुद हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा किया।

    राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच बढ़ सकता है टकराव

    राजनीतिक विश्लेषकों ने बताया कि राज्य सरकार को ये सब रास नहीं आया है। इसे देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। राजभवन में पश्चिम बंगाल दिवस मनाए जाने को सामने रखकर प्रस्ताव लाया जाएगा। इससे राजभवन और राज्य सचिवालय के बीच टकराव और बढ़ने की आशंका है।

    सीएम ममता बनर्जी लगा चुकी हैं आरोप

    मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्यपाल पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम करने का आरोप लगा चुकी हैं। शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने राज्य सरकार से सलाह-मशविरा किए बिना राज्य विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपति की नियुक्ति को 'गैरकानूनी' बताया था। यह मामला कलकत्ता हाई कोर्ट में भी गया था। अदालत ने हालांकि इसे पूरी तरह 'वैध' करार दिया था।