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    Bengal: 'मिजोरम में खदान ढहने से बंगाल के पांच श्रमिकों की मौत पर ममता ने जताया दुख', नौकरी व मुआवजे की घोषणा

    By Jagran NewsEdited By: PRITI JHA
    Updated: Wed, 16 Nov 2022 04:33 PM (IST)

    ममता ने कहा- मैं मिजोरम की घटना से बहुत दुखी हूं। बंगाल के मजदूर अलग-अलग राज्यों में मर रहे हैं। हम मृतकों के स्वजनों को नौकरी और मुआवजा देंगे। इससे पहले ममता ने ट्वीट करके भी घटना पर गहरा दुख जताया।

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    बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरा दुख जताया।

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता । मिजोरम के हनहथियाल जिले में पत्थर की खदान ढहने से 12 श्रमिकों की हुई मौत की घटना पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को गहरा दुख जताया। सोमवार को हुई इस घटना में मरने वालों में सबसे ज्यादा पांच श्रमिक बंगाल के ही थे। ममता ने मृतकों के स्वजनों को नौकरी व मुआवजा देने की भी घोषणा की।

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    झाडग़्राम जिले के दौरे पर गईं ममता ने कहा- मैं मिजोरम की घटना से बहुत दुखी हूं। बंगाल के मजदूर अलग-अलग राज्यों में मर रहे हैं। हम मृतकों के स्वजनों को नौकरी और मुआवजा देंगे। इससे पहले ममता ने ट्वीट करके भी घटना पर गहरा दुख जताया। उन्होंने कहा कि मेरी संवेदनाएं उन लोगों के साथ है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। साथ ही कहा कि बंगाल के श्रमिकों के शवों को वापस लाने के लिए हमारे अधिकारी मिजोरम सरकार के संपर्क में हैं।

    उन्होंने पीडि़त परिवारों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। इससे पहले पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी घटना पर गहरा शोक जताया और प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के स्वजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। बता दें कि हनहथियाल जिले के पुलिस उपायुक्त आर लालरेमसंगा ने मंगलवार को घटनास्थल से कम से कम 11 शव मिलने की पुष्टि की थी और कहा था कि तलाशी अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक सभी लापता श्रमिकों के शव नहीं मिल जाते। बीएसएफ, एनडीआरएफ, असम राइफल्स, राज्य पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें शव को निकालने के लिए तलाशी अभियान में लगी हुई हैं।

    इससे पहले हनहथियाल के पुलिस अधक्षक विनीत ककुमार ने कहा था कि सोमवार दोपहर करीब तीन बजे मौदरह गांव में पत्थर की खदान में भूस्खलन हुआ था। उस समय वहां 13 लोग काम कर रहे थे। इसमें से केवल एक कर्मचारी वहां से निकल सका, जबकि बाकी लोग इसकी चपेट में आ गए। मरने वाले 12 कर्मचारियों में से पांच बंगाल, असम के तीन और झारखंड व मिजोरम के दो-दो श्रमिक थे। 

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