Mahalaya 2024: बंगाल में आज महालया पर्व, पितरों का होगा तर्पण; नवरात्रि की होगी शुरूआत
पश्चिम बंगाल और असम में धूमधाम से महालया पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व भव्य दुर्गा पूजा उत्सव की शुरूआत का प्रतीक है। यानी महालया के बाद नवरात्रि की शुरूआत होती है। पश्चिम बंगाल में इस पर्व का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह पूर्वजों को याद करने और उनके तर्पण का दिन है। इसी दिन से पितृ पक्ष की समाप्ति भी होती है।
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा नवरात्रि से एक दिन पहले महालया पर्व से शुरू होती है। इस बार 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो रही है। मगर पश्चिम बंगाल में आज यानी दो अक्टूबर से इसकी शुरूआत हो जाएगी। बंगाल में पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन महालया पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसका काफी महत्व है। पितृपक्ष और नवरात्रि के संधिकाल को महालया के नाम से जाना जाता है।
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मां दुर्गा की प्रतिमा को दिया जाता अंतिम रूप
महालया पर्व का पश्चिम बंगाल में नवरात्रि जैसा महत्व है। सुबह चार बजे लोग चंडी पाठ सुनते हैं। इसका प्रसारण रेडियो पर किया जाता है। लोग मां दुर्गा के घर आगमन की वंदना करते हैं। वहीं गंगा नदी में स्नान के बाद पितरों का तर्पण करते हैं। पितरों के तर्पण के बाद लोग दुर्गा पूजा की तैयारी में जुट जाते हैं। महालया के दिन ही मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जाता है।
मूर्तिकार करते हैं चक्षुदान
महालया के दिन ही सबसे वरिष्ठ मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखों को आकार देता है। उन पर रंग चढ़ाया जाता है। इसके बाद प्रतिमा को जीवंत रूप में पंडालों में सजाया जाता है। प्रतिमा में नेत्र बनाने की परंपरा को चक्षुदान कहा जाता है। इसी के साथ बंगाल में नवरात्रि की शुरूआत हो जाती है। मान्यता के मुताबिक महालया के दिन ही देवताओं ने महिषासुर राक्षस के अंत का आह्वान मां दुर्गा से किया था। महालया पितृपक्ष के आखिरी दिन होने की वजह से इसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है।