'मोहरात्रि में मनाया जाता है भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव'
जन्माष्टमी के मौके पर कोन्नगर स्थित राजराजेश्वरी माता के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह मंदिर के पुरोहित सच्चित स्वरूप महाराज ने माता राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी को भगवान श्रीकृष्ण के रूप में सजाकर उनकी आराधना की।
संवाद सूत्र, हुगली : जन्माष्टमी के मौके पर कोन्नगर स्थित राजराजेश्वरी माता के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। सुबह मंदिर के पुरोहित सच्चित स्वरूप महाराज ने माता राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी को भगवान श्रीकृष्ण के रूप में सजाकर उनकी आराधना की। इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। सच्चित स्वरूप महाराज ने कहा कि सनातन धर्म में कालरात्रि, महारात्रि तथा मोहरात्रि का बड़ा महत्व है। कालरात्रि में दीपावली, महारात्रि शिवरात्रि तथा मोहरात्रि में जन्माष्टमी के रूप मे भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के सभी अवतारों में श्रीकृष्ण अवतार को संपूर्ण अवतार माना गया है। मोहरात्रि के दिन जो भक्त सच्चे मन से भगवान श्रीकृष्ण की माखन एव मिश्री से पूजा करते हैं, उनके पाप का क्षय होता है। सच्चित स्वरूप महाराज ने आगे कहा कि कंस का वध करके भगवान श्रीकृष्ण ने पाप का नाश किया था। महाभारत में भी उनकी महिमा देखी गई है। मंदिर के अन्य पुरोहित श्रीधर द्विवेद्वी ने बताया कि रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में जन्माष्टमी की पूजा संपन्न हुई।
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