बिछड़े तीर्थयात्रियों का बिगड़ा 'गणित' सुधार रहा शिक्षक, 1 लाख से अधिक लोगों को परिवार से मिलाया
गंगासागर में गुम होने वाले तीर्थयात्रियों का पता लगाने वाली प्रमुख संस्था बजरंग परिषद के सेवा मंत्री प्रेमनाथ हर साल अपने 300 लोगों की बड़ी टीम के साथ ...और पढ़ें

विशाल श्रेष्ठ, जागरण, गंगासागर। वे पेशे से गणित के शिक्षक हैं। अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति, त्रिकोणमिति व कैलकुलस के मुश्किल से मुश्किल सवालों को चुटकियों में हल कर देते हैं।
इसके साथ ही गंगासागर में बिछड़ने वाले तीर्थयात्रियों का बिगड़ा गणित भी सुधारते आ रहे हैं। ये हैं प्रेमनाथ दुबे। 57 साल के प्रेमनाथ पिछले 33 साल से मकर संक्रांति के समय गंगासागर आकर यहां बिछड़ने वाले लोगों को तलाश कर उनके अपनों से मिलाने का नेक कार्य कर रहे हैं।
300 लोगों की बड़ी टीम
गंगासागर में गुम होने वाले तीर्थयात्रियों का पता लगाने वाली प्रमुख संस्था बजरंग परिषद के सेवा मंत्री प्रेमनाथ हर साल अपने 300 लोगों की बड़ी टीम के साथ गंगासागर पहुंचते हैं। यहां चार जगह उनके शिविर लगते हैं। प्रेमनाथ के अथक प्रयास से अब तक एक लाख से भी अधिक बिछड़े तीर्थयात्री मिल चुके हैं।
गंगासागर में जिनके अपनों का पता नहीं चल पाता, प्रेमनाथ की संस्था उन्हें अपने साथ कोलकाता ले आती है और वहां से खुद उनके घर भिजवाने की व्यवस्था करती है। प्रेमनाथ ने बहुतों को खुद छत्तीसगढ़, बिहार, राजस्थान समेत विभिन्न राज्यों में उनके घर पहुंचाया है।
गंगासागर में हर साल चार से पांच हजार लोग बिछड़ते हैं। इनमें अधिकांश बुजुर्ग व दिव्यांग होते हैं। बहुत से लोग तो स्वजनों व अपने घर का पता भी नहीं बता पाते। हम उनके घरों का पता लगाकर उन्हें भेजते हैं। बिछड़ों को उनके अपनों से मिलाकर जो संतुष्टि मिलती है, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
- प्रेमनाथ
पिता से मिली सेवा की सीख
प्रेमनाथ ने बताया, 'मेरे पिता बजरंग परिषद के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। बचपन में उन्हें गंगासागर जाते देखा करता था। बड़ा हुआ तो मैं भी इससे जुड़ गया। गंगासागर के तीर्थयात्री मेरे लिए परिवार के सदस्य जैसे हैं।'
प्रेमनाथ ने आगे कहा, 'नई पीढ़ी सेवा कार्यों से भाग रही है। वह सिर्फ पैसा-पैसा कर रही है। उसे इसमें आगे आना चाहिए।'
वेतन कटवा कर लेते हैं छुट्टी
- प्रेमनाथ ने बताया, 'मकर संक्रांति के समय गंगासागर आने के लिए उन्हें स्कूल से चार-पांच दिनों की छुट्टी लेनी पड़ती है। कई बार जमा छुट्टियां नहीं बचतीं, तब उन्हें अपना वेतन कटवाकर आना पड़ता है।'
- प्रेमनाथ कोलकाता के गिरीश पार्क इलाके में स्थित राजस्थान विद्या मंदिर में शिक्षक हैं। वे 30 वर्षों से अध्यापन से जुड़े हैं। उन्होंने एमएससी (बीएड) व एमएससी (मैथ्स) किया है। अध्यापन के क्षेत्र में उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
- बंगाल सरकार व विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से भी सेवा कार्यों के लिए सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने आर्थिक रूप से अक्षम कई छात्रों की स्कूल की फीस खुद भरकर उन्हें पढ़ाने की भी व्यवस्था की है। प्रेमनाथ के पढ़ाए कई छात्र आज अच्छी जगह स्थापित हो चुके हैं।
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