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    'फास्ट-ट्रैक कोर्ट में होना चाहिए ट्रायल, लेकिन...', RG कर संदीप घोष भ्रष्टाचार मामले में हाई कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

    Updated: Thu, 06 Feb 2025 06:28 PM (IST)

    आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के एक्स प्रिंसिपल संदीप घोष वित्तीय भ्रष्टाचार मामले में आज सुनवाई हुई। खंडपीठ ने कहा कि मामले में आरोप तय करने से पहले घोष को समय दिया जाना चाहिए। न्यायाधीशों ने कहा कि वे जल्दबाजी में मुकदमा चलाकर मामले को कब्र तक नहीं पहुंचाना चाहते। इस संबंध में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। उसके बाद ही आरोप तय करने का समय निर्धारित किया जाएगा।

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    RG कर संदीप घोष भ्रष्टाचार मामले में हुई सुनवाई (फोटो-एक्स)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल के वित्तीय भ्रष्टाचार मामले में आरोप तय करने से पहले अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ से थोड़ी राहत मिली है।

    खंडपीठ ने कहा कि मामले में आरोप तय करने से पहले घोष को समय दिया जाना चाहिए। न्यायाधीशों ने कहा कि वे जल्दबाजी में मुकदमा चलाकर मामले को कब्र तक नहीं पहुंचाना चाहते। इस संबंध में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। उसके बाद ही आरोप तय करने का समय निर्धारित किया जाएगा।

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    संदीप घोष मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल थे, जब पिछले साल 9 अगस्त को सेमिनार कक्ष के अंदर एक डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई, जिससे पूरे देश में आक्रोश फैल गया। मामले में आरोप तय करने को स्थगित करने की घोष की अपील पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आज कहा कि मुकदमे को तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है, लेकिन कानून की उचित प्रक्रिया का भी पालन किया जाना चाहिए।

    नवंबर में दाखिल किया था आरोपपत्र

    सीबीआई ने वित्तीय भ्रष्टाचार मामले में 29 नवंबर को अलीपुर अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। इसमें संदीप घोष के अलावा अन्य आरोपितों घोष के बाडीगार्ड अफसर अली, अस्पताल के आपूर्तिकर्ता बिप्लब सिंह, सुमन हाजरा और जूनियर डाक्टर (हाउस स्टाफ) आशीष पांडे के नाम शामिल हैं। फिलहाल सभी लोग जेल में हैं। 

    एक्स प्रिंसिपल ने आदेश को दी चुनौती

    संदीप घोष ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ के समक्ष अपील दायर की, जिसमें उनके प्रिंसिपल रहने के दौरान वित्तीय अनियमितताओं के मामले में आरोप तय करने को स्थगित करने से इनकार कर दिया गया था। उन्होंने इस मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने को स्थगित करने के लिए यहां अलीपुर की विशेष सीबीआई अदालत को निर्देश देने की प्रार्थना की। मामले के सिलसिले में उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं।

    हाई कोर्ट की टिप्पणी

    • पीठ ने कहा, प्रत्येक आरोपी को कानून की उचित प्रक्रिया से गुजरने का अधिकार है। बता दें कि इस सुनवाई में न्यायमूर्ति सुभेंदु सामंत भी शामिल थे, कहा कि बचाव तैयार करने के आरोपी के अधिकार की भी जांच की जानी चाहिए।
    • संदीप घोष के वकील ने खंडपीठ के समक्ष कहा कि सीबीआई ने उन्हें एक फरवरी को हजारों पन्नों के दस्तावेज मुहैया कराए थे और मामले में आरोप तय करने की तारीख विशेष अदालत के समक्ष 4 फरवरी तय की गई थी, जिससे मामले से संबंधित भारी भरकम दस्तावेजों को पढ़ने के लिए मुश्किल से चार दिन का समय मिला।
    • यह पूछने पर कि क्या कागजात देखने के लिए समय मांगना बहुत अन्यायपूर्ण है, न्यायमूर्ति बागची ने हालांकि, संदीप घोष के वकील से स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही को लंबा करने का विशेषाधिकार नहीं है।
    • खंडपीठ ने प्रस्ताव दिया कि यदि आरोपी चाहे तो उसे डिस्चार्ज याचिका दायर करने के लिए दस्तावेजों का अध्ययन करने के लिए एक सप्ताह का समय मिल सकता है।

    अदालत के समक्ष करेगी निगरानीपीठ ने कहा कि वह अलीपुर में विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष कार्यवाही की निगरानी करेगी, ताकि उसके द्वारा सुनवाई के सात दिनों के भीतर मुक्ति याचिकाओं पर सुनवाई की जा सके।

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