Kolkata: 168 साल पहले शुरू हुई थी भारत की सबसे बड़ी 'नेशनल लाइब्रेरी', हर साल आते हैं सैंकड़ों पर्यटक
कोलकाता पब्लिक लाइब्रेरी की शुरुआत 21 मार्च 1839 को कई गई थी। ये भारत की पहली लाइब्रेरी है जिसमें भारतीयों को पढ़ने की इजाजत दी गई थी। इस लाइब्रेरी का मुख्य उद्देश्य बच्चों और रिसर्चर्स को पुस्तकों तक आसान पहुंच और सुविधा प्रदान करना था। उस समय भारतीयों को किसी भी पब्लिक लाइब्रेरी में जाने नहीं दिया जाता था। इसके कारण ही इस लाइब्रेरी को बनाया गया था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोलकाता पब्लिक लाइब्रेरी की शुरुआत 21 मार्च 1839 को कई गई थी। ये भारत की पहली लाइब्रेरी है जिसमें भारतीयों को पढ़ने की इजाजत दी गई थी।
मिली जानकारी के अनुसार, इस लाइब्रेरी का मुख्य उद्देश्य बच्चों और रिसर्चर्स को पुस्तकों तक आसान पहुंच और सुविधा प्रदान करना था। उस समय भारतीयों को किसी भी पब्लिक लाइब्रेरी में जाने नहीं दिया जाता था। इसके कारण ही इस लाइब्रेरी को बनाया गया था।
वहीं, कुछ समय बाद 1903 में भारत के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड कर्जन ने इस लाइब्रेरी को कोलकाता की इंपीरियल लाइब्रेरी और सेक्रेटेरिएट की लाइब्रेरीज के साथ मर्ज कर दिया था। इस मर्जर के बाद यह भारत की सबसे बड़ी लाइब्रेरी भी बन गई थी।
1948 में बदला था नाम
भारत सरकार ने 1948 में कोलकाता पब्लिक लाइब्रेरी का नाम बदल कर नेशनल लाइब्रेरी कर दिया था। तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम ने 1953 में इसे लोगों के लिए खोल दिया था।
बता दें कि ये लाइब्रेरी 30 एकड़ में फैली हुई है। यहां 22 लाख से ज्यादा किताबें, जर्नल्स, मैनुस्क्रिप्ट्स आदि हैं। नेशनल लाइब्रेरी, कोलकाता के सबसे बड़े पर्यटक स्थलों में भी शामिल है। यहां हर साल सैकड़ों पर्यटक लाइब्रेरी देखने आते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।