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    बंगाल का वो शिक्षक जिसने ब्लैक बोर्ड में बदल दी गली की दीवारें, ग्लोबल टीचर प्राइज के फाइनलिस्ट में हुए शामिल

    By Jagran NewsEdited By: Manish Negi
    Updated: Thu, 26 Oct 2023 12:00 AM (IST)

    पश्चिम बंगाल के आसनसोल में स्थित तिलका मांझी आदिवासी निशुल्क प्राथमिक विद्यालय जमुरिया के शिक्षक दीपनारायण नायक ने ग्लोबल टीचर प्राइज 2023 के टॉप 10 में जगह बनाई है। जीतने वाले को एक मिलियन अमेरिकी डॉलर के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यूके स्थित वर्की फाउंडेशन इसका आयोजन करता है।

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    ग्लोबल टीचर प्राइज के फाइनलिस्ट में शामिल हुए शिक्षक दीपनारायण नायक (फोटो- सोशल मीडिया)

    जागरण संवाददाता, आसनसोल। पश्चिम बंगाल के आसनसोल में स्थित तिलका मांझी आदिवासी नि:शुल्क प्राथमिक विद्यालय जमुरिया के शिक्षक दीपनारायण नायक ने ग्लोबल टीचर प्राइज 2023 में 130 देशों के शीर्ष 10 फाइनलिस्ट में जगह बनाई है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के विजेता को एक मिलियन अमेरिकी डॉलर के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इसमें 130 देशों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।

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    टॉप 10 फाइनलिस्टों का नाम घोषित

    बुधवार को प्रतियोगिता के टॉप 10 फाइनलिस्टों का नाम घोषित किया गया। यह असाधारण शिक्षकों की पहचान की ग्लोबल प्रतियोगिता है। इसमें दुनियाभर के सभी देशों के वैसे शिक्षक भाग ले सकते हैं, जिन्होंने अपने पेशे में उत्कृष्ट योगदान दिया है और साथ ही समाज में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला है।

    ब्लैक बोर्ड में बदल दी मिट्टी की दीवारें

    यूनेस्को के सहयोग से यूके स्थित वर्की फाउंडेशन इसका आयोजन करता है। संयुक्त अरब अमीरात स्थित वैश्विक परोपकारी संगठन दुबई केयर्स भी इसमें रणनीतिक साझेदारी निभाता है। शिक्षक दीप नारायण की पहचान उन खास शिक्षकों में हैं, जिन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए अपनी गलियों की मिट्टी की दीवारों को ब्लैक बोर्ड में बदल दिया, इसके दूर-दूर तक चर्चे हुए।

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    टीचर आफ द स्ट्रीट से भी सम्मानित हुए

    कोविड 19 और लॉकडाउन के दौरान उनका यह प्रयोग बच्चों की पढ़ाई सुचारू रखने में काफी कारगर सिद्ध हुआ। कक्षाओं को स्कूल से बाहर स्थानांतरित कर देने के उनके इस खास प्रयोग के कारण उन्हें टीचर आफ द स्ट्रीट के विशेष सम्मान से भी सम्मानित किया गया था।

    गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाले वंचित समाज के बच्चों को उनके इस विशेष तरीके का काफी लाभ मिला। उन्होंने बच्चों के साथ उनके अभिभावकों को भी शिक्षित व जागरूक बनाने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही अंधविश्वास और कुरीतियों को दूर करने का भी प्रयास किया। शैक्षिक और सामाजिक रूप से चुनौतियों का सामना कर रहे वर्ग में उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी शिक्षा की ज्योति जलाए रखी।

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