Gangasagar Mela 2025: सबके मन में यही सवाल, कपिल मुनि मंदिर का क्या होगा हाल!
गंगासागर जिसे सागरद्वीप के नाम से भी जाना जाता है चारों तरफ से पानी से घिरा एक प्राकृतिक द्वीप है और चक्रवात की प्रबल आशंका वाले क्षेत्रों में शामिल है। बंगाल की खाड़ी से उठने वाले हरेक चक्रवात का यहां व्यापक असर पड़ता है। अधिकांश चक्रवात सागरद्वीप व ओड़िशा के तटीय इलाकों के बीच से ही होकर बांग्लादेश का रुख करते हैं।

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। गंगासागर में मकर संक्रांति का पुण्य स्नान संपन्न हो गया है। देश-दुनिया से आए लाखों तीर्थयात्री कपिल मुनि मंदिर में पूजा-अर्चना करके लौट चुके हैं, लेकिन अपने मन में एक बड़ा सवाल भी लेकर गए हैं कि अगली बार जब आएंगे तो क्या उन्हें कपिल मुनि मंदिर दिखेगा?
मालूम हो कि समुद्र का पानी तेजी से मंदिर की ओर बढ़ रहा है। मंदिर और समुद्र के बीच अब एक किलोमीटर से भी कम का फासला रह गया है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि मंदिर की सीध वाले तट पर तीर्थयात्रियों के स्नान पर पाबंदी लगा दी गई है।
समुद्र के पानी को बढ़ने से रोकने के लिए तट पर मोटी लकड़ियां गाड़कर गार्ड वाल तैयार किया गया है। मिट्टी की सैकड़ों बोरियां भी लाकर रखी गई हैं, लेकिन सबको पता है कि इससे कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो मंदिर को बचाना मुश्किल हो जाएगा।
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एक-दो चक्रवात आने पर मिट जाएगा मंदिर का नामोनिशान
गंगासागर, जिसे सागरद्वीप के नाम से भी जाना जाता है, चारों तरफ से पानी से घिरा एक प्राकृतिक द्वीप है और चक्रवात की प्रबल आशंका वाले क्षेत्रों में शामिल है। बंगाल की खाड़ी से उठने वाले हरेक चक्रवात का यहां व्यापक असर पड़ता है। अधिकांश चक्रवात सागरद्वीप व ओड़िशा के तटीय इलाकों के बीच से ही होकर बांग्लादेश का रुख करते हैं।
2021 में चक्रवात 'यास' व पिछले साल आए चक्रवात 'दाना' का गंगासागर पर व्यापक असर पड़ा है। जलवायु विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कुछ वर्षों में एक-दो भीषण चक्रवात और आ गए तो मंदिर का नामोनिशान मिट सकता है। कुछ मौसम के जानकार तो कह रहे हैं कि निकट भविष्य में इस मंदिर का जलसमाधि लेना निश्चित है क्योंकि प्रकृति अपने तरीके से काम करती है। उसे थोड़े समय के लिए नियंत्रित जरूर किया जा सकता है, लेकिन हमेशा के लिए रोका नहीं जा सकता।
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(समुद्र का पानी कपिल मुनि मंदिर की ओर बढ़ने से रोकने के लिए तैयार किया गया गार्ड वाल।
क्या कह रही है राज्य सरकार
बंगाल के सिंचाई मंत्री डा मानस भुइयां ने कहा-'मंदिर को बचाने के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए जा रहे हैं। 570 मीटर तक के तट का पुनर्निर्माण किया गया है।' मालूम हो कि पिछले साल इंडियन इंस्टीच्यूट आफ टेक्नोलाजी (आइआइटी) मद्रास व नीदरलैंड के विशेषज्ञों की टीमों ने गंगासागर आकर स्थिति का जायजा किया था और इसकी रोकथाम के लिए सुझाव दिए थे। विश्व बैंक ने भी मदद का हाथ बढ़ाया है।
गंगासागर मेले के आयोजन का दायित्व प्राप्त बंगाल के खेल मंत्री अरूप बिश्वास ने कहा-'केंद्र का इस गंभीर समस्या पर कोई ध्यान नहीं है। राज्य सरकार अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रही है।'
मंदिर प्रबंधन भारी चिंता में
कपिल मुनि मंदिर के महंत ज्ञानदास जी महाराज के उत्तराधिकारी संजय दास ने बताया-'अब तक चार मंदिर समुद्र में समा चुके हैं। इस मंदिर को बचाना बहुत जरूरी है। केंद्र व राज्य सरकार, दोनों को इसके लिए तत्पर होना पड़ेगा।'
तीर्थ को पर्यटन स्थल में बदलने का दुष्परिणाम : शंकराचार्य
गंगासागर में शाही स्नान करने आए पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने इस विकट स्थिति को तीर्थ को पर्यटन स्थल में बदलने का दुष्परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि तपोस्थली को भोगस्थली में नहीं बदला जाना चाहिए। ऐसा करने पर संकट आते हैं।'
गंगासागर के लोगों ने कहा- ठोस कदम उठाए सरकार
समुद्र तट पर चाय की दुकान चलाने वाले आरिजुल्लाह साहा ने कहा-'समुद्र का पानी साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है।इस कारण कई दुकानदारों को तट से हटाया जा चुका है। अगला नंबर मेरा भी हो सकता है। तट पर करोड़ों रुपये खर्च करके सिर्फ मिट्टी डाली जा रही है, जो पानी में बह जाती है।
सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए।' वहीं गंगासागर के रूद्रनगर इलाके के रहने वाले आलोक मंडल ने कहा-'समुद्र का पानी जिस तरह भूमि को ग्रास कर रहा है, उससे मंदिर तो क्या, एक दिन पूरा सागरद्वीप पानी में डूब जाएगा। हम डर के साए में जी रहे हैं। चक्रवात यास के समय समुद्र का पानी मंदिर तक चला आया था। उच्च ज्वार के समय हम काफी आशंकित रहते हैं।'
गंगासागर की हालत देखकर देश-दुनिया से आए तीर्थयात्री भी हैरान हैं। 20 साल बाद पुण्य स्नान करने आए बिहार के गया निवासी रमाशंकर तिवारी ने कहा-' 2005 में पहली बार जब यहां आया था, तब मंदिर से कई किलोमीटर चलकर समुद्र तट जाना पड़ा था। अब तो मंदिर से चार कदम चलने पर ही समुद्र नजर आ रहा है। पता नहीं, अगली बार जब आऊंगा, तब यह मंदिर रहेगा भी या नहीं।'

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