जातिवाद को खत्म करना आजादी के अमृत महोत्सव की सबसे बड़ी चुनौती : तरुण विजय
देश के वर्तमान मजबूत नेतृत्व में नए भारत का सृजन हो रहा है और इसमें शौर्य पूर्ण भागीदारी हर भारतीय का कर्तव्य है। मुस्लिम आक्रांताओं से हिंदू आज भी बंटा हुआ है। समाज में गंदगी साफ व छुआछूत दूर करनी होगी। आजादी का अमृत महोत्सव नवीन भारत का उदय।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बड़ाबाजार कुमार सभा पुस्तकालय की ओर से कर्मयोगी जुगल किशोर जैथलिया के स्मरण में आयोजित व्याख्यानमाला में "आजादी के अमृत महोत्सव पर भविष्य की चुनौतियों" को रेखांकित करते हुए प्रखर वक्ता तरुण विजय ने कहा कि आज देश में जातिवाद को खत्म करना ही राष्ट्र की अखंडता और एकता के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
मुस्लिम आक्रांताओं से हिंदू आज भी बंटा हुआ है
बड़ाबाजार के रथिंद्र मंच में आयोजित कार्यक्रम में संबोधन करते हुए उन्होंने कहा कि सैकड़ों सालों पहले मुस्लिम आक्रांताओं ने भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक घूम घूम कर टुकड़ों में बंटे हिंदू राजाओं को परास्त किया, बंदी बनाया, मौत के घाट उतारा, धर्मांतरण किया और पूरे देश को मजहबी आग में झोंक दिया। तब भी हिंदू बंटा हुआ था और आज भी बंटा हुआ है। संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बैरिस्टर होने के बावजूद बाबा साहब को हर जगह नीची जाति का बता कर छुआछूत का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से उन्होंने तंग होकर बौद्ध मत अपना लिया। हालांकि वह इसाई या मुस्लिम नहीं बने।
समाज में गंदगी साफ व छुआछूत दूर करनी होगी
आज फिर अगर हमारे समाज में गंदगी साफ करने का काम केवल एक समुदाय को दिया जाए और उससे छुआछूत रखी जाए तो तब के भारत और आज आजादी के बाद 75 वें वर्ष में जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तब में कोई अंतर नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनौतियों का सामना डटकर सैनिक की भांति करना होगा। पूर्वजों की स्मृति को अक्षुण्ण रखना हमारा धर्म है। स्मृतिहीन समाज का न तो वर्तमान होता है और न ही भविष्य। हमें पराजय का नहीं, अपितु अपने गौरव और विजय का इतिहास चाहिये। आज जो शक्तियां ज्यादा उद्वेलित व मुखर नजर आ रही हैं उनके नकारात्मक विचार उनके हृदय की आतुरता और विलाप हैं।
आजादी का अमृत महोत्सव नवीन भारत का उदय
तरुण विजय ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव नवीन भारत का उदय है। भारत शीघ्र ही नवीन स्वर्णिम भाग्योदय देखेगा। राष्ट्रभक्ति के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता और कर्मयोगी जैथलिया जी का स्मरण अपनी अस्मिता का स्मरण है। प्रबुद्ध चिंतक व पांचजन्य के पूर्व संपादक तरुण विजय ने कहा कि देश के वर्तमान मजबूत नेतृत्व में नए भारत का सृजन हो रहा है और इसमें शौर्य पूर्ण भागीदारी हर भारतीय का कर्तव्य है।
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