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    West Bengal: पंचायत चुनाव से पहले तृणमूल को लगा बड़ा झटका, कांग्रेस ने छीनी सागरदिघी विधानसभा सीट

    By Jagran NewsEdited By: Versha Singh
    Updated: Thu, 02 Mar 2023 03:56 PM (IST)

    बंगाल में अगले कुछ महीनों में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस ने एक दशक तक तृणमूल के कब्जे में रही सागरदिघी विधानसभा सीट उनसे छीन ली है।

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    पंचायत चुनाव से पहले तृणमूल को लगा बड़ा झटका

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में अगले कुछ महीनों में होने वाले पंचायत चुनाव से पहले सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस ने एक दशक तक तृणमूल के कब्जे में रही सागरदिघी विधानसभा सीट उनसे छीन ली है।

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    गुरुवार को घोषित हुए सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव के नतीजे में कांग्रेस प्रत्याशी बायरन बिश्वास ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी तृणमूल के देवाशीष बंद्योपाध्याय को 22,980 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया।

    बता दें कि बायरन बिश्वास को कुल 85,381 वोट मिले जबकि देवाशीष की झोली में 62,953 वोट आए। वहीं 2021 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर दूसरे स्थान पर रही भाजपा को 25,484 वोट से संतोष करना पड़ा और वह लुढ़ककर तीसरे स्थान पर आ गई है। इस जीत के साथ कांग्रेस ने विधानसभा में फिर से इंट्री कर ली है।

    गौरतलब है कि 2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एक भी प्रत्याशी जीत नहीं पाया था। कांग्रेस ने वाममोर्चा के साथ मिलकर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था। सागरदिघी विस उपचुनाव में कांग्रेस का वाममोर्चा के साथ आधिकारिक तौर पर कोई गठबंधन नहीं हुआ था लेकिन बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के अनुरोध पर वाममोर्चा ने यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था और कांग्रेस प्रत्याशी का समर्थन किया था। यह सीट राज्य के पूर्व मंत्री सुब्रत साहा के आकस्मिक निधन से रिक्त हुई थी।

    ममता बनर्जी अपराजेय नहीं : अधीर

    अधीर रंजन चौधरी ने जीत पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा-' इस नतीजे से साफ है कि कांग्रेस अभी खत्म नहीं हुई है और ममता बनर्जी अपराजेय नहीं हैं। लोगों को स्वतंत्र रूप से मतदान करने का मौका मिला, इसके लिए मैं केंद्रीय बलों को धन्यवाद देता हूं।

    वहीं, दूसरी तरफ तृणमूल के राज्यसभा सदस्य शांतनु सेन ने जीत को अनैतिक करार देते हुए कहा कि कांग्रेस-वाममोर्चा का गठबंधन नीति व आदर्शहीन अनैतिक गठबंधन है, फिर इसे जीत कैसे माना जा सकता है?

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