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    कलकत्ता हाई कोर्ट ने देश के सबसे पुराने मामलों में एक को निपटाया, 72 साल के बाद आया फैसला

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Mon, 16 Jan 2023 10:02 PM (IST)

    इस आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका एक जनवरी 1951 को दायर की गई थी और उसी दिन ‘मामला संख्या 71/1951’ के रूप में दर्ज की गई थी। बरहमपुर बैंक देनदारों से पैसा वसूल करने के लिए कई मुकदमों में उलझा हुआ था।

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    पूर्ववर्ती बरहमपुर बैंक लिमिटेड को बंद करने की कार्यवाही से संबंधित मुकदमेबाजी अंतत: समाप्त हो गई

    कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाई कोर्ट में देश के सबसे पुराने मुकदमों में से एक को आखिरकार 72 साल के बाद निपटा लिया गया। पूर्ववर्ती बरहमपुर बैंक लिमिटेड को बंद करने की कार्यवाही से संबंधित मुकदमेबाजी अंतत: समाप्त हो गई है।

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    भारतीय अदालत में लंबित सबसे पुराने मामलों में से एक

    बरहमपुर मामले का उल्लेख राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड में नौ जनवरी तक भारतीय अदालत में लंबित सबसे पुराने मामलों में से एक के रूप में किया गया है। मामले में 19 नवंबर 1948 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने तत्कालीन दिवालिया और मुकदमेबाजी से घिरे बरहमपुर बैंक को बंद करने का आदेश था। इस आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका एक जनवरी, 1951 को दायर की गई थी और उसी दिन ‘मामला संख्या 71/1951’ के रूप में दर्ज की गई थी।

    कई मुकदमों में उलझा हुआ मामला

    बरहमपुर बैंक देनदारों से पैसा वसूल करने के लिए कई मुकदमों में उलझा हुआ था। इनमें से कई कर्जदारों ने बैंक के दावों को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था। बैंक के परिसमापन (लिक्विडेशन) आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पिछले साल सितंबर में दो बार हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए आई थी, लेकिन कोई भी पक्ष सामने नहीं आया। इसके बाद न्यायाधीश रवि कृष्ण कपूर ने कोर्ट के परिसमापक (लिक्विडेटर) से रिपोर्ट मांगी। 19 सितंबर 2022 को सहायक परिसमापक ने पीठ को बताया कि अगस्त 2006 में मामले का निपटारा कर दिया गया था।

    यह पता चला कि इसे रिकार्ड में शामिल नहीं किया गया था और यह मामला लंबित सूची में बना रहा। इसके बाद न्यायमूर्ति रवि कृष्ण कपूर ने मामले के निपटारे के आदेश पर हस्ताक्षर किए, इसे सील किया गया और टंकण सुधार के साथ दिया गया।

    अभी भी तीन पुराने मामले लंबित

    इस मामले से निपटने के बाद अब तीन सबसे पुराने लंबित मामलों से निपटना बाकी है, जो 1952 में दर्ज हुए थे। बचे हुए तीन मामलों में से दो दीवानी मुकदमे बंगाल के मालदा के सिविल कोर्ट में चल रहे हैं और एक मद्रास हाई कोर्ट में लंबित है। मालदा के कोर्ट ने इन मामलों को सुलझाने के लिए आखिरी सुनवाई मार्च और नवंबर में की थी। सबसे पुराने दो मामला की सुनवाई जस्टिस कपूर ने 23 अगस्त 2022 को की थी। उन्होंने वकीलों और विशेष अधिकारी को सभी पार्टियों से मिलकर केस खत्म करने के लिए राजी करने को कहा था। 1952 के केस के बारे में भी बहुत कम ही डेटा उपलब्ध है।

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