करंट से मौत के विरुद्ध 'खोला हवा' संगठन कल निकालेगा जुलूस, कलकत्ता हाईकोर्ट ने दी सशर्त इजाजत
कोलकाता में भारी बारिश के दौरान करंट लगने से हुई मौतों के विरोध में खोला हवा नामक संगठन ने जुलूस निकालने के लिए हाई कोर्ट से अनुमति मांगी थी। अदालत ने कुछ शर्तों के साथ अनुमति दे दी है जिसमें जुलूस में 3000 समर्थकों को शामिल करने की अनुमति है। अदालत ने पुलिस को जुलूस का समय और मार्ग तय करने का निर्देश दिया है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कुछ दिन पहले, 'खोला हवा' नामक एक संगठन ने भारी बारिश से हुए जलमाव के दौरान करंट लगने से 12 लोगों की मौत के विरोध में जुलूस निकालने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने दुर्गा पूजा के कार्निवल के दिन, यानी रविवार को जुलूस निकालने की अनुमति के लिए आवेदन किया था। हाई कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ ने उस आवेदन को स्वीकार कर लिया। हालांकि, इसके लिए कई शर्तें भी रखी है।
लगातार बारिश के कारण 23 सितंबर को कोलकाता समेत कई जिले जलमग्न हो गए। शहर के विभिन्न हिस्सों में पानी जमा हो गया। उस जलजमाव में करंट लगने से कई लोगों की मौत हो गई। भाजपा शुरू से ही इस घटना के लिए राज्य सरकार पर उंगली उठाती रही है।
'खोला हवा' नामक संगठन ने उस घटना के विरोध में कोलकाता में एक जुलूस का आह्वान किया था। हालांकि यह संगठन गैर-राजनीतिक है, लेकिन भाजपा के कई जाने-माने चेहरे इससे जुड़े हुए हैं। कोलकाता पुलिस ने कार्निवल के दिन संगठन के जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद, उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
क्या है मामला?
याचिकाकर्ताओं की अर्जी के अनुसार, वे पांच सितंबर को शाम चार बजे से सात बजे तक एक जुलूस और सभा आयोजित करना चाहते हैं। पहले कॉलेज स्क्वायर से सेंट्रल एवेन्यू होते हुए धर्मतल्ला तक एक जुलूस जिसमें पांच हजार लोग शामिल होंगे। जुलूस के बाद, 'खोला हवा' ने धर्मतल्ला में डोरीना क्रांसिंग के पास एक सभा आयोजित करने का अनुरोध किया।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने आरोप लगाया कि पांच अक्टूबर को एक कार्निवल है, इसलिए पुलिस ने हमारे कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी। इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति बिश्वरूप चौधरी की अवकाशकालीन पीठ में हुई। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया हम करंट लगने से हुई मौत के विरोध में जुलूस निकालना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने अनुमति नहीं दी। लेकिन पिछले साल, अदालत ने कार्निवल के दिन रानी रासमणि रोड पर आरजी कर कांड के विरोध में कार्यक्रम की अनुमति दी थी। उस समय राज्य की आपत्ति खारिज कर दी गई थी।
जज ने वकील से पूछा ये सवाल
न्यायाधीश ने वादी के वकील से पूछा कि अगर आप सेंट्रल एवेन्यू से मार्च करेंगे, तो कार्निवल में जाने वाली मूर्तियों को परेशानी होगी। आप वेलिंगटन से एसएन बनर्जी रोड होते हुए उस रास्ते पर मार्च क्यों नहीं कर रहे हैं? वादी के वकील ने तर्क दिया कि सेंट्रल एवेन्यू बहुत चौड़ा है। इसलिए अगर हम सड़क के एक तरफ मार्च करते हैं, तो कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
राज्य सरकार ने जताई आपत्ति
राज्य सरकार ने उस संगठन के मार्च पर आपत्ति जताई। राज्य के वकील ने कहा कि यह संगठन गैर-राजनीतिक नहीं है। सुवेंदु अधिकारी और शंकुदेव पांडा जैसे भाजपा नेता इस संगठन से जुड़े हैं। नवान्न अभियान के दौरान उन्होंने क्या किया, यह सबको पता है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह जुलूस सरकारी कार्निवल को राजनीतिक रूप से बाधित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। राज्य का सवाल था कि यह जुलूस पांच अक्टूबर को ही क्यों आयोजित किया जाना चाहिए? किसी और दिन क्यों नहीं? पिछले साल कार्निवल के दिन हुए कार्यक्रम के बारे में राज्य का तर्क था कि उस समय रानी रासमणि रोड पर विरोध प्रदर्शन करने वाला संगठन एक गैर-राजनीतिक संगठन था और उस विरोध प्रदर्शन का कारण आरजी कर मामला था। अदालत जानती है कि आरजी कर मामले को लेकर क्या स्थिति उत्पन्न हुई थी। इसलिए दोनों घटनाओं में अंतर है।
सुवेंदु भी होंगे जुलूस में शामिल
न्यायमूर्ति चौधरी राज्य से जानना चाहते थे कि कार्निवल का मार्ग क्या है और कितने क्लबों की मूर्तियां इसमें भाग लेंगी। जब राज्य ने उन्हें सूचित किया, तो जज ने कहा कि कॉलेज स्क्वायर और मोहम्मद अली पार्क की मूर्तियां भी कार्निवल में शामिल होंगी। फिर उस मार्ग पर जुलूस निकालने पर समस्या हो सकती है।
राज्य सरकार ने कहा कि उसे पांच अक्टूबर के अलावा किसी अन्य दिन जुलूस निकालने पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि, वादी पक्ष का दावा था कि आरजी कर की मौत और बिजली के झटके से हुई 12 लोगों की मौत को अलग-अलग देखने का सवाल ही नहीं उठता। दोनों मौतें बेहद दुखद हैं। इसलिए, अदालत के पिछले फैसले के अनुसार, अदालत को इस जुलूस को मंजूरी देनी चाहिए।
न्यायमूर्ति चौधरी ने कहा कि वास्तव में पांच अक्टूबर को दुर्गा पूजा कार्निवल है, लेकिन 12 लोगों की मौत भी बहुत दुखद है। इसीलिए जुलूस की अनुमति दी जा रही है। कोलकाता पुलिस कालेज स्क्वायर और मोहम्मद अली पार्क की प्रतिमा वहां से निकल जाने के बाद कोलकाता पुलिस जुलूस के समय को मंजूरी देगी।
अदालत ने क्या आदेश दिया?
अदालत ने आदेश दिया कि चूंकि 5 अक्टूबर को दुर्गा पूजा कार्निवल है, इसलिए पुलिस जुलूस का समय और मार्ग तय करेगी और संगठन को 5,000 के बजाय 3,000 समर्थकों के साथ मार्च करना होगा। वादी ने अदालत को सूचित किया कि वे शाम चार बजे के बजाय दोपहर दो बजे से मार्च करेंगे। वे शाम पांच बजे तक कार्यक्रम समाप्त कर देंगे। इस पर जज ने कहा कि पुलिस मामले पर विचार करेगी और अनुमति देगी। नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि वह कार्निवल के दिन 'खोला हवा' के जुलूस में शामिल होंगे।
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