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    'संघ ने कभी कटुता नहीं दिखाई', RSS के कार्यक्रम में क्या-क्या बोले पीएम मोदी?

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 06:36 PM (IST)

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह में भाग लेते हुए घुसपैठियों के मुद्दे पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि भारत की एकता और सामाजिक सद्भाव को जनसांख्यिकीय बदलाव लाने वाले घुसपैठियों से खतरा है। पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में भी घुसपैठियों से नागरिकों की रक्षा करने की बात कही थी।

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    पीएम मोदी ने घुसपैठिए को बताया भारत के लिए खतरा (इमेज- पीटीआई)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरएसएस के 100 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उसके खिलाफ हुई साजिशों और हमलों को याद करते हुए राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका की तारीफ की।

    उन्होंने आरएसएस को अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार बताया, जो समय-समय पर उस युग की चुनौतियों का सामना करने के लिए,नए-नए अवतारों में प्रकट होती रही है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया। उन्होंने कहा कि यह पहला सिक्का है, जिसपर भारत माता की तस्वीर है।

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    आरएसएस के खिलाफ साजिश

    नई दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आरएसएस के 100 साल को राष्ट्र साधना का 100 साल बताया। उन्होंने बताया कि किस तरह से समय समय पर आरएसएस के खिलाफ साजिश रची गई, उसे कुचलने की कोशिश की गई।

    दांत को तोड़ा नहीं जाता

    महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ के खिलाफ रची गई साजिश की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरसंघचालक गुरू गोलवरकर को जेल में बंद किया गया। लेकिन इसके बावजूद संघ के स्वयंसेवकों ने किसी के प्रति मन में बैर भाव नहीं आने दिया। उन्होंने बताया किस तरह से जेल से छुटने के बाद गुरू गोलवरकर ने जीभ और दांत का उदाहरण देते हुए कहा था कि कभी-कभी दांत के बीच आकर जीभ कट भी जाती है, तो दांत को तोड़ा नहीं जाता है। गोलवरकर ने कहा था कि दांत भी मेरे हैं और जीभ भी मेरा है।

    हम समाज से अलग नहीं...

    प्रधानमंत्री के अनुसार स्वयंसेवक जानते हैं कि ''हम समाज से अलग नहीं हैं, समाज हमसे ही तो बना है।'' प्रधानमंत्री मोदी ने आजादी की लड़ाई में आरएसएस के योगदान पर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि अस्तित्व में आने के बाद से ही संघ के लिए देश की प्राथमिकता ही उसकी प्राथमिकता रही। उनके अनुसार आजादी की लड़ाई के समय डाक्टर हेडगेवार समेत अनेक कार्यकर्ताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया और खुद हेडगेवार कई बार जेल गए। इसके साथ ही संघृ आजादी की लड़ाई दौरान कई स्वतन्त्रता सेनानियों को संघ संरक्षण देता रहा और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करता रहा।

    आपातकाल के दौरान किया संघर्ष

    संवैधानिक संस्थाओं के प्रति स्वयंसेवकों की अटूट आस्था का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान देश में लोकतंत्र को बचाये रखने के लिए संघर्ष किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सामाजिक कुरीतियों को दूर करने और हजारों सालों से हाशिये पर रह रहे समाज के अलग-अलग वर्गों में आत्मबोध व स्वाभिमान जगाने में भी आरएसएस की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि संघ दशकों से आदिवासी परंपराओं, आदिवासी रीति-रिवाज, आदिवासी मूल्यों को सहेजने-संवारने में अपना सहयोग देता रहा है।

    भेदभाव बड़ी चुनौती

    इस सिलसिले में उन्होंने सेवा भारती, विद्या भारती, एकल विद्यालय, वनवासी कल्याण आश्रम जैसी संघ के जुड़ी संस्थाओं का आदिवासी समाज के सशक्तिकरण के किए गए कार्यों का उल्लेख किया। इसी तरह से सामाजिक भेदभाव और ऊंच-नीच की कुप्रथा को हिंदू समाज की सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए उन्होंने कहा कि हेडगेवार से लेकर अभी तक सभी सरसंघचालक ने इसे दूर करने का प्रयास किया है।

    उनके अनुसार बाला साहब देवरस ने तो यहां तक कहा था कि ''छुआछूत अगर पाप नहीं, तो दुनिया में कोई पाप नहीं!'' वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी समरसता के लिए समाज के सामने एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान का स्पष्ट लक्ष्य रखा है।

    आरएसएस एक नदी की तरह

    प्रधानमंत्री ने आरएसएस की तुलना विशाल नदी से करते हुए कहा कि संघ ने इस देश के हर क्षेत्र, समाज के हर आयाम को स्पर्श किया है। एक नदी की कई धाराओं की तरह संघ के अलग-अलग संगठन जीवन के हर पक्ष से जुड़कर राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। उनके अनुसार ''विविध क्षेत्र में काम करने वाले हर संगठन का उद्देश्य एक ही है, भाव एक ही है..राष्ट्र प्रथम''।

    चुनौतियों से निपट रही सरकार

    प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार संघ पिछले 100 सालों की यात्रा के दौरान देश की बदलती जरूरतों और चुनौतियों के अनुरूप अपने कार्यक्षेत्र में बदलाव भी किया। उन्होंने कहा कि विकसित बनने की राह पर अग्रसित भारत के सामने दूसरे देशों पर आर्थिक निर्भरता, हमारी एकता को तोड़ने की साजिशें, डेमोग्राफी में बदलाव के षड़यंत्र जैसी चुनौतियां है। हमारी सरकार इन चुनौतियों से तेजी से निपट रही है। लेकिन खुशी की बात यह है कि आरएसएस ने भी इन चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस रोडमैप भी बनाया है।

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