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    भारत-बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ या तस्करी करना नहीं होगा आसान, सुरक्षा के लिए BSF कर रही इस तकनीक का इस्तेमाल

    Updated: Thu, 09 Jan 2025 07:37 AM (IST)

    भारत और बांग्लादेश के बीच अंतराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा के लिए जिम्मेदार बीएसएफ तस्करी और घुसपैठ को रोकने के लिए पारंपरिक तरीकों और अत्याधुनिक तकनीकों दोनों का इस्तेमाल कर रही है। दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआइजी व प्रवक्ता नीलोत्पल कुमार पांडे ने बताया कि इस सीमा के दुर्गम इलाकों और नदी वाले क्षेत्रों से तस्करी और घुसपैठ को रोकने के लिए बल द्वारा कई तरीके अपनाए गए हैं।

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    BSF घुसपैठ व तस्करी रोकने के लिए अत्याधुनिक तकनीक-पारंपरिक दोनों तरीकों का कर रही इस्तेमाल

     राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। भारत और बांग्लादेश के बीच अंतराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा के लिए जिम्मेदार सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) तस्करी और घुसपैठ को रोकने के लिए पारंपरिक तरीकों और अत्याधुनिक तकनीकों दोनों का इस्तेमाल कर रही है।

    एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच बंगाल के साथ लगने वाली 2,216 किमी में से 913 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा करने वाले बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने सुरक्षा चौकियों और पैदल गश्त जैसे पारंपरिक तरीकों के अलावा इलेक्ट्रानिक निगरानी का व्यापक रूप से उपयोग बढ़ाया है।

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    तस्करी और घुसपैठ को रोकने के लिए अपनाई जा रही तकनीक

    यह देखते हुए कि इस फ्रंटियर द्वारा संरक्षित 913 किलोमीटर लंबी सीमा के लगभग आधे हिस्से पर अभी तक बाड़ (तारबंदी) नहीं लगाई गई है। दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआइजी व प्रवक्ता नीलोत्पल कुमार पांडे ने बताया कि इस सीमा के दुर्गम इलाकों और नदी वाले क्षेत्रों से तस्करी और घुसपैठ को रोकने के लिए बल द्वारा कई तरीके अपनाए गए हैं।

    वरिष्ठ बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि जहां बाड़ लगाने का काम अभी पूरा नहीं हुआ है, वहां हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए स्थाई कैमरों के अलावा पैन, टिल्ट और जूम (पीटीजेड) कैमरे भी बड़ी संख्या में लगाए गए हैं। नाइट विजन सुविधाओं से लैस इन कैमरों में सेंसर लगे हैं, जो सीमा पर किसी भी मानवीय गतिविधि का पता लगा सकते हैं।

    सुरक्षा पारंपरिक व अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से की जा रही

    बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के पेट्रापोल में संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने बताया कि कोई भी हरकत होने पर नियंत्रण कक्षों के माध्यम से जानकारी तुरंत प्रहरी (जवानों) तक पहुंचाई जाती है। उन्होंने कहा कि पेट्रापोल में स्थित दक्षिण एशिया के सबसे बड़े भूमि सीमा शुल्क स्टेशन के पास बीएसएफ के एक बटालियन कमान क्षेत्र में 32 किलोमीटर लंबी सीमा में से केवल 11 किलोमीटर क्षेत्र में ही बाड़ लगी है, जबकि शेष बिना तारबंदी वाले क्षेत्र की सुरक्षा पारंपरिक व अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से की जाती है।

    पेट्रापोल से सटा यह क्षेत्र तस्करी व घुसपैठ के लिए एक समय कुख्यात रहा है और यह इलाका बेहद ही संवेदनशील है, जिसकी रखवाली बीएसएफ की पांचवीं बटालियन करता है। अधिकारी ने कहा कि तस्करी और घुसपैठ को रोकने के लिए सुरक्षाकर्मियो, प्रौद्योगिकी और संसाधनों का उचित तरीके से उपयोग किया जाता है। उन्होंने दावा किया कि अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से घुसपैठ व तस्करी रोकने में काफी मदद मिल रही है।

    स्मार्ट फेंसिंग लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण की चल रही प्रक्रिया

    बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि बिना बाड़ वाले क्षेत्र में स्मार्ट फेंसिंग लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है और सीमा पर कुछ भूमि बीएसएफ की आवश्यकता के अनुसार राज्य प्रशासन द्वारा बल को सौंप दी गई है। उन्होंने कहा कि मानसून के दौरान स्थितियां और भी चुनौतीपूर्ण हो जाती हैं, क्योंकि भारी बारिश के कारण सीमा पर बहने वाली बेतना नदी और इस क्षेत्र के अन्य जल निकाय उफान पर आ जाते हैं।

    अधिकारी ने कहा कि बीएसएफ जवानों ने बिना तारबंदी वाली संवेदनशील जगहों पर फिलहाल खुद ही अस्थाई कंटीले तार लगा रखे हैं, जहां स्मार्ट बाड़ लगाना अभी बाकी है। इनमें ट्रिप लेयर फ्लेयर्स सहित टाप-एंड गैजेट की सहायता ली गई है, जो किसी भी घुसपैठिए के तारों को छूने पर सक्रिय हो जाते हैं, जिससे बल को रात के अंधेरे में क्षेत्र में आसानी से गतिविधि का पता लगाने में मदद मिलती है।

    तस्कर और घुसपैठिए प्रयास जारी रखेंगे तो हम चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार- बीएसएफ

    बीएसएफ अधिकारी ने कहा, तस्कर और घुसपैठिए प्रयास जारी रखेंगे, लेकिन हम चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं। अधिकारी ने बताया कि इन दुर्गम क्षेत्रों में 360 डिग्री घूमने वाले अत्याधुनिक कैमरे और सेंसर भी लगे हैं। नियंत्रण कक्षों में सीमा पर हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जाती है और वहां से संबंधित संतरियों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए जाते हैं।

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