बंगाल में कैदियों की रिहाई को लेकर सरकार और राज्यपाल के बीच गहराया विवाद, राजभवन ने वापस भेजी फाइलें
ममता सरकार और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच एक और नया विवाद शुरू हो गया है। यह विवाद स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जेल से कैदियों की रिहाई को लेकर है। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कैदियों की रिहाई से जुड़ी फाइलें वापस नवान्न राज्य सचिवालय भेज दीं है। साथ ही उन्होंने ममता सरकार से जानना चाहा है कि किस कैदी की रिहाई किस आधार किया जा रहा है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। ममता सरकार और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच एक और नया विवाद शुरू हो गया है। यह विवाद स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जेल से कैदियों की रिहाई को लेकर है। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कैदियों की रिहाई से जुड़ी फाइलें वापस नवान्न राज्य सचिवालय भेज दीं है।
साथ ही उन्होंने ममता सरकार से जानना चाहा है कि किस कैदी की रिहाई, किस आधार किया जा रहा है। परिणामस्वरूप राज्यपाल और राज्य के बीच विवाद और गहराने के आसार हैं। बतात चलें कि यह फाइल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अधीन गृह विभाग की ओर से सीवी आनंद बोस को भेजी गई थी।
राजभवन भेजी गई गृह विभाग से फाइल
15 अगस्त से पहले 71 कैदियों की रिहाई की सिफारिश की गई है। इसमें राज्य की जेलों में बंद 16 विदेशी कैदियों की रिहाई भी शामिल है। राज्य के गृह विभाग से फाइल राजभवन भेजी गई थी। शनिवार को आनंद बोस ने वही फाइल वापस नवान्न को भेज दी। हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी से कैदियों की रिहाई की परंपरा रही है। इस बार भी 15 अगस्त से पहले राज्य की जेलों में बंद कई कैदियों की रिहाई की सूची की फाइल राज्य गृह विभाग से राजभवन भेजी गई थी।
ममता सरकार व राज्यपाल के बीच गहराया विवाद
कैदियों की रिहाई पर निर्णय लेने के लिए राज्य में चार विभागों वाली एक समिति है। समिति में राज्य के गृह, जेल, पुलिस और कानून विभाग शामिल हैं। बंदियों के आचरण संबंधी रिकॉर्ड देखने के बाद उनकी रिहाई की संस्तुति की गई है। वह सूची तैयार कर गृह विभाग को भेज दी गई। वहां से फाइल मंजूरी के लिए राजभवन जाती है, लेकिन यह पहली बार है जब राजभवन से न सिर्फ फाइल वापस गृह विभाग को भेजी गई है, बल्कि स्पष्टीकरण भी मांगी गई है।
राजभवन ने क्या कहा?
राजभवन की ओर से बताया गया है कि अगर गृह विभाग से पूरी रिपोर्ट भेजी जाएगी तो राज्यपाल बोस कैदी की रिहाई के लिए फाइल पर हस्ताक्षऱ करेंगे।
शुरुआत में अच्छे रहे ममता और राज्यपाल के रिश्ते
बंगाल की कमान संभालने के बाद शुरुआत में ममता बनर्जी सरकार के राज्यपाल बोस से अच्छे रिश्ते रहे हैं। मिठाइयां भेजने से लेकर राज्य सरकार ने बंगाली सीखने के इच्छुक राज्यपालों के लिए कार्यक्रम का भी आयोजन किया। इस पर प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा, दूरी धीरे-धीरे बढ़ती गई।
पंचायत चुनाव के आसपास अशांति के माहौल में दरार और चौड़ी हो गई। अंतरिम वीसी की नियुक्ति से लेकर हाल ही में राजभवन में भ्रष्टाचार की शिकायतें प्राप्त करने के लिए एक कंट्रोल रूम भी खोला गया है। ममता ने सार्वजनिक रूप से इस पर आपत्ति जताई और उनकी पार्टी ने बार-बार शिकायत की है कि राज्य में समानांतर सरकार चलाने का प्रयास किया जा रहा है। अब इसमें एक और नया विवाद जुड़ गया है।

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