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    West Bengal: प्रदेश भाजपा ने दिया बूथ सुरक्षा का संदेश, दिलीप घोष बोले- इस बार पंचायत चुनाव नहीं होगा एकतरफा

    By Jagran NewsEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sun, 18 Jun 2023 09:03 PM (IST)

    प्रदेश भाजपा की अगली रणनीति बूथ की सुरक्षा है। इसके लिए लोगों को संगठित करने का संदेश दिया गया है। प्रदेश भाजपा की ओर से जिलों में निर्देश दिया गया है। पार्टी के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष का दावा है कि इस बार पंचायत चुनाव एकतरफा चुनाव नहीं होगा।

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    इस बार पंचायत चुनाव नहीं होगा एकतरफा: दिलीप घोष। फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। प्रदेश भाजपा की अगली रणनीति बूथ की सुरक्षा है। इसके लिए लोगों को संगठित करने का संदेश दिया गया है। प्रदेश भाजपा की ओर से जिलों में निर्देश दिया गया है। पार्टी के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष का दावा है कि इस बार पंचायत चुनाव एकतरफा चुनाव नहीं होगा। ऐसा नहीं होगा कि तृणमूल सभी कुछ जीत जाएगी। हम कुछ जिला परिषदों को जीतने की स्थिति में भी हैं। जहां बूथ की सुरक्षा के लिए लोगों को लगाया गया है।

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    जनप्रतिनिधियों के नामांकन के बाद पार्टी उत्साहित

    पिछले पंचायत चुनाव में विपक्ष की मुख्य शिकायत थी कि वे नामांकन नहीं दे सके। इसे लेकर भाजपा सबसे ज्यादा मुखर रही। इस बार तस्वीर उलटी है। नामांकन खत्म होने के साथ भाजपा को लगता है कि उसने लड़ाई का पहला चरण जीत लिया है। एक समय था जब पंचायत चुनाव में भाजपा के पास लड़ने का मौका कहां तक होगा इसको लेकर पार्टी के भीतर खींचतान चल रही थी। लेकिन जिस तरह से पार्टी के जनप्रतिनिधियों ने नामांकन किया है उससे पार्टी उत्साहित है।

    कल्याणी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा में शामिल होंगे 1500 अल्पसंख्यक

    इस बार कई अल्पसंख्यक परिवार के सदस्य भाजपा उम्मीदवार के तौर लड़ रहे हैं। बीरभूम जैसे जिले में कुछ ऐसे उम्मीदवार हैं, जो अल्पसंख्यक हैं। इसके अलावा भाजपा ने दावा किया कि कल्याणी विधानसभा क्षेत्र से कम से कम 1500 अल्पसंख्यक भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं।

    भाजपा के छह अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं की हुई हत्या

    राज्य भाजपा के मुख्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि बीरभूम में 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के छह अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है। बंगाल में पिछले 11 सालों में सबसे ज्यादा राजनीतिक हत्याएं अल्पसंख्यकों की हुई हैं। कांग्रेस, माकपा, तृणमूल ने अल्पसंख्यकों का इस्तेमाल किया है। गुजरात में अल्पसंख्यकों की क्या स्थिति है और बंगाल की क्या स्थिति है।