'फ्री फलस्तीन... आजाद कश्मीर', कोलकाता की यूनिवर्सिटी में लिखे गए देश विरोधी नारे; FIR दर्ज
जादवपुर यूनिवर्सिटी में दीवार पर आजाद कश्मीर और फ्री फलस्तीन की पेंटिंग (ग्रैफिटी) बनाई गई। ये ग्रैफिटी तब बनाई गई जब 10 मार्च को एग्जाम चल रहा था। हिंसा के सिलसिले में बसु और प्रोफेसर टीएमसी नेता ओम प्रकाश मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। विश्वविद्यालय के गेट नंबर तीन के पास एक दीवार पर काले रंग से आजाद कश्मीर और फ्री फलस्तीन लिखा हुआ देखा गया।

पीटीआई, कोलकाता। कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है। अब जादवपुर यूनिवर्सिटी में दीवार पर आजाद कश्मीर और फ्री फलस्तीन की पेंटिंग (ग्रैफिटी) बनाई गई। ये ग्रैफिटी तब बनाई गई, जब 10 मार्च को एग्जाम चल रहा था। इसको लेकर पुलिस कथित रूप से सादे कपड़ों में कैंपस में पहुंची।
जादवपुर विश्वविद्यालय में पिछले कुछ दिनों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जहां 1 मार्च को राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु की कार और उनके साथ चल रहे एक अन्य गाड़ी के कथित रूप से उनके वाहन से टकराने के बाद दो छात्र घायल हो गए थे। इसके बाद से प्रदर्शन जारी है।
इस हरकत के पीछे किसका हाथ?
हिंसा के सिलसिले में बसु और प्रोफेसर टीएमसी नेता ओम प्रकाश मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।विश्वविद्यालय के गेट नंबर तीन के पास एक दीवार पर काले रंग से 'आजाद कश्मीर' और 'फ्री फलस्तीन' लिखा हुआ देखा गया, लेकिन यह पता नहीं चल पाया कि इसके पीछे कौन या कौन सा संगठन था।
'इसमें लेफ्ट विंग का हाथ'
वहीं इसको लेकर विवाद बढ़ गया और कई लोगों ने अपने विचार साझा किए हैं। जेयू की तृणमूल छात्र परिषद इकाई के अध्यक्ष किशलय रॉय ने पीटीआई से कहा,
'इसके पीछे कुछ अति-वामपंथी छात्र संगठन हैं और अगर कोई विशाल परिसर में घूमे तो इस तरह की और भी भित्तिचित्र देखे जा सकते हैं।'
'अलगाववादी विचारों का समर्थन नहीं करते'
एसएफआई की जेयू इकाई के नेता अभिनबा बसु ने कहा, 'हम अलगाववादी विचारों का समर्थन नहीं करते हैं, हालांकि हम भाजपा शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों के दमन के खिलाफ हैं।' उन्होंने कहा कि सीपीआई(एम) की छात्र शाखा एसएफआई का फलस्तीन मुद्दे पर स्पष्ट रुख है।
वहीं टीएमसी-झुकाव वाले शिक्षाविदों के मंच के वरिष्ठ संकाय सदस्य और पदाधिकारी ओम प्रकाश मिश्रा ने कहा, 'हम किसी भी पोस्टर और भित्तिचित्र के खिलाफ हैं जो अलगाववादी विचारों का समर्थन करते हैं। 1 मार्च की घटना के बाद जब मिश्रा पहली बार परिसर में दाखिल हुए, तो वामपंथी छात्रों के एक वर्ग ने उनका स्वागत भाजपा-टीएमसी तानाशाही से आजादी और वापस जाओ जैसे नारों से किया।
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