बंगाल विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा चरण आज होगा शुरू, स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है भाजपा
बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा स्पीकर बिमान बनर्जी के खिलाफ भाजपा विधायक दल की ओर से अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। नेता प्रतिपक्ष ने 13 फरवरी को स्पीकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का नोटिस दिया था।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा चरण सोमवार से शुरू होने जा रहा है। 13 मार्च तक चलने वाले इस सत्र में भी राज्य सरकार तीन-चार बिल पारित कराने की तैयारी में है। इस सत्र में आम तौर पर विभिन्न विभागों के बजट अनुदान प्रस्तावों पर सदन में चर्चा और इसे पारित कराने की कार्यवाही होगी।
इस सत्र के पहले दिन विधानसभा स्पीकर बिमान बनर्जी के खिलाफ भाजपा विधायक दल की ओर से अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। नेता प्रतिपक्ष व भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने 13 फरवरी को बजट सत्र के दौरान ही विधानसभा सचिवालय में स्पीकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का नोटिस दिया था। अविश्वास प्रस्ताव विधानसभा की चर्चा सूत्री में भी शामिल है।
अविश्वास प्रस्ताव पर मांगी जाएगी सदन की राय
विधानसभा के बुलेटिन के अनुसार, छह मार्च को सदन में अनुच्छेद 179 के तहत इस अविश्वास प्रस्ताव पर सदन की राय मांगी जाएगी। इस अविश्वास प्रस्ताव में स्पीकर के खिलाफ कुल 16 आरोप लगाए गए हैं, जिसमें पक्षपातपूर्व रवैया अपनाने से लेकर दलबदल विरोधी कानून पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करना आदि हैं।
इधर, ममता सरकार इस बार के सत्र में शिक्षा समेत 33 विभागों के बजट पर बहस से बचना चाहती है। संसदीय भाषा में कहें, तो सदन में बिना चर्चा के सरकार गिलोटिन का सहारा लेकर बजट सत्र के दूसरे चरण में करीब 33 विभागों के बजट अनुदान मांगों को पारित कराने की तैयारी में है। इनमें शिक्षा व गृह जैसे अहम विभाग भी शामिल हैं।
इसे लेकर राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा हमलावर है। भाजपा का कहना है कि राज्य का पूरा शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है, इसीलिए तृणमूल सरकार चर्चा से भागना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि इस बार उद्योग, पंचायत, कृषि, लोक निर्माण और शहरी विभाग जैसे छह विभागों के बजट अनुदान प्रस्तावों पर ही सदन में चर्चा होने की उम्मीद है। हालांकि, राज्य के संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय का कहना है कि उनकी सरकार विधानसभा से बचकर कोई काम नहीं करती, बल्कि वाममोर्चा शासन की तुलना में ज्यादा सवालों के जवाब तृणमूल के मंत्री दे रहे हैं। समय की कमी के कारण कुछ विभागों पर चर्चा नहीं हो पाती है।

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