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बंगाल में आठवीं सरकारी भाषा के रूप में 'कुरुख' को स्वीकृति

पिछले वर्ष फरवरी में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'कुरुख' को सरकारी भाषा के रूप में मान्यता देने की घोषणा की थी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 09 Feb 2018 10:17 AM (IST)Updated: Fri, 09 Feb 2018 11:55 AM (IST)
बंगाल में आठवीं सरकारी भाषा के रूप में 'कुरुख' को स्वीकृति
बंगाल में आठवीं सरकारी भाषा के रूप में 'कुरुख' को स्वीकृति

कोलकाता,राज्य ब्यूरो। पश्चिम बंगाल में सरकारी भाषा के रूप में 'कुरुख' को गुरुवार को स्वीकृति दे दी गई। मुख्य रूप से उरांव और किशान संप्रदाय के लोग यह भाषा बोलते हैं। राज्य में आठवीं सरकारी भाषा के रूप में 'कुरुख' को विधानसभा में दर्जा दे गई।

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इस संबंध में सोमवार को विधानसभा में बंगाल के भाषा कानून में एक संशोधन किया गया है। 'कुरुख' को सरकारी भाषा का दर्जा देने के लिए गुरुवार को दि वेस्ट बंगाल ऑफियिल लांग्वेज (एमेंडमेंट) बिल विधानसभा में पारित हो गया। बंगाल में बांग्ला के अलावे उर्दू, हिंदी, नेपाली, सांउताली, ओडिया, अलचिकी और पंजाबी को सरकारी भाषा के रूप में मान्यता है। इसके बाद 'कुरुख' भाषा को भी सरकारी भाषा की मान्यता मिल गई। बंगाल के कुछ भागों में इस भाषा का प्रचलन होने के साथ ओडिशा, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, नेपाल व भूटान में भी इस भाषा को बोलने वाले लोग हैं।

बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में भी लोग इस भाषा का प्रयोग करते हैं। बंगाल में करीब 16 लाख लोग 'कुरुख' भाषा बोलते हैं। बताते चलें कि पिछले वर्ष फरवरी में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'कुरुख' को सरकारी भाषा के रूप में मान्यता देने की घोषणा की थी।


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