Kolkata: केंद्र सरकार के एजेंडा में है प्रशासनिक और कानूनी सुधार- संजीव सान्याल
सान्याल ने कहा कि प्रशासनिक और न्यायिक स्तर पर दो बड़े सुधारों की जरूरत है। इसके लिए व्यापक स्तर पर लोगों के समर्थन की आवश्यकता है। सान्याल ने कहा कि ...और पढ़ें

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) के सदस्य संजीव सान्याल ने मंगलवार को कहा कि सुधारों के मोर्चे पर सरकार का अगला एजेंडा प्रशासनिक और न्यायिक क्षेत्र होगा। यहां उद्योग मंडल भारत चैंबर आफ कामर्स में अपने संबोधन में सान्याल ने कहा कि 2014 के बाद जब वर्तमान सरकार ने केंद्र में सत्ता संभाली तो नवोन्मेष आधारित अर्थव्यवस्था को लेकर सुधार किए गए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से सुधारों का नया चक्र शुरू हुआ।
पिछले दशक में नवोन्मेष आधारित अर्थव्यवस्था के लिए सुधार किए गए। दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आइबीसी) और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे सुधार लाए गए तथा मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए कदम उठाए गए।
आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से 7.0 प्रतिशत के बीच होगी: सान्याल
सान्याल ने कहा कि प्रशासनिक और न्यायिक स्तर पर दो बड़े सुधारों की जरूरत है। इसके लिए व्यापक स्तर पर लोगों के समर्थन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जब कभी हम कदम उठाते हैं, उसका विरोध होता है। ब्रिटिश ने जो प्रशासनिक व्यवस्था बनाई थी, उसका एकमात्र मकसद चीजों को काबू में रखना था।
न्यायपालिका के साथ भी ऐसा ही था। जो व्यवस्था बनाई गई, उसका उद्देश्य न्याय उपलब्ध कराना नहीं था बल्कि नियंत्रण बनाए रखना था। सान्याल ने कहा कि सुधारों के ये दो प्रमुख क्षेत्र हैं, जिसपर सरकार ध्यान देना शुरू करेगी। अर्थव्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि इस साल आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से 7.0 प्रतिशत के बीच होगी। इस समय देश में वृहद आर्थिक मोर्चे पर स्थिरता है।
चालू खाते का घाटा एक दायरे में है और विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर है। उन्होंने कहा कि लेकिन निर्यात मांग कम होने के साथ घरेलू मांग को गति देने के लिए प्रोत्साहन देने की जरूरत नहीं है। क्योंकि इससे बाह्य क्षेत्र पर दबाव बन सकता है और चालू खाते के घाटे के मोर्चे पर समस्या हो सकती है।
बैंक प्रणाली को मजबूत बनाए रखने की जरूरत
आपूर्ति पक्ष को मजबूत बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना होगा जैसा कि कोविड महामारी के दौरान था। उन्होंने कहा कि हमने बुनियादी ढांचे में जो पूर्व में निवेश किए, उसका फायदा अब मिल रहा है। वैश्विक स्तर पर निराशाजनक परिदृश्य को देखते हुए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि बेहतर है। इस समय विकास के लिए ‘एक्सिलेरेटर’ पर दबाव डालने की कोई जरूरत नहीं है।
ऐसा तब किया जा सकता है, जब रास्ता एकदम साफ हो। रास्ते में अभी बाधाएं हैं। उन्होंने कहा कि वृद्धि को कुछ गति देने के लिए वृहद आर्थिक स्थिरता का छोड़ना बुद्धिमानी नहीं है। जरूरत बैंक प्रणाली को मजबूत और आपूर्ति पक्ष को बेहतर बनाए रखने की है।
नई जनगणना करने की जरूरत
अर्थव्यवस्था के आकार की बात की जाए, तो हम निश्चित रूप से जर्मनी और जापान से आगे निकल जाएंगे। लेकिन तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद अगली दो अर्थव्यवस्थाएं हमसे बहुत आगे होंगी। उन्होंने यह भी कहा कि नई जनगणना करने की जरूरत है क्योंकि पिछली जनगणना 2011 में की गई थी।
महंगाई को लेकर सान्याल ने कहा कि सब्जियों की कीमत में कभी-कभार होने वाली कुछ बढ़ोतरी को छोड़ दिया जाए, तो महंगाई को लेकर दबाव उतना ज्यादा नहीं है।

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