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    विधानसभा चुनाव से पहले ममता सरकार का बड़ा फैसला, पश्चिम बंगाल में OBC लिस्ट में 76 नई जातियां शामिल

    Updated: Tue, 03 Jun 2025 06:36 PM (IST)

    76 नई जातियों को शामिल किए जाने के बाद अब राज्य में ओबीसी कैटेगरी में कुल जातियों की संख्या 140 हो जाएगी जो पहले 64 थी। ममता सरकार के इस फैसले को विधानसभा चुनाव से पहले अपने सामाजिक समीकरण सेट करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। यह नई जातियां कौन सी हैं इसे लेकर हालांकि अभी जानकारी सामने नहीं आई है।

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    बंगाल में 76 नई जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की राज्य सूची में शामिल किया गया।(फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता : बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए 76 नई जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की राज्य सूची में शामिल करने का फैसला किया है।

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    मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल (कैबिनेट) की बैठक में चर्चा के बाद राज्य में हालिया ओबीसी सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर 76 नई जातियों को शामिल करने के राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों पर मुहर लगा दी गई।

    ओबीसी कैटेगरी में कुल जातियों की संख्या 140 हो जाएगी

    इन 76 नई जातियों को शामिल किए जाने के बाद अब राज्य में ओबीसी कैटेगरी में कुल जातियों की संख्या 140 हो जाएगी, जो पहले 64 थी। ममता सरकार के इस फैसले को विधानसभा चुनाव से पहले अपने सामाजिक समीकरण सेट करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। यह नई जातियां कौन सी हैं, इसे लेकर हालांकि अभी जानकारी सामने नहीं आई है।

    अटकलें हैं कि 76 जातियों की इस नई सूची में उन 77 में से भी कई जातियां शामिल हो सकती हैं, जिन्हें जारी किए गए जाति प्रमाण पत्रों को कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले साल रद करने के आदेश दिए थे। इन 77 जातियों में से 75 मुस्लिम जातियां थीं, जिनका ओबीसी आरक्षण का दर्जा कोर्ट के आदेश से समाप्त हो गया था।

    बंगाल सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने भी हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा था। मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

    विधानसभा चुनाव से पहले ममता सरकार का बड़ा फैसला

    वहीं, कोर्ट के आदेश से ओबीसी दर्जा समाप्त होने के बाद इन जातियों के लोग ममता सरकार से कोई रास्ता निकालने की लगातार मांग करते आ रहे थे। ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले ओबीसी वर्ग में शामिल की गई 76 नई जातियों की लिस्ट में कोर्ट के आदेश पर यह दर्जा गंवाने वाली कई जातियों के नाम भी शामिल होने के अनुमान हैं।

    इधर, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ममता सरकार का यह दांव मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद कुछ प्रभावशाली हिंदू जातियों को अपने पाले में लाने के साथ ही मुस्लिम वर्ग के बीच सियासी जमीन मजबूत करने की हो सकती है।

    विधानसभा में पेश करेगी ओबीसी सर्वेक्षण रिपोर्ट

    इधर, कैबिनेट की मंजूरी के बाद बंगाल सरकार नौ जून से शुरू होने जा रहे विधानसभा के मानसून सत्र में ओबीसी सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करेगी, जिसमें इस श्रेणी के अंतर्गत नए सिरे से 140 जातियों की पहचान की गई है। राज्य सरकार द्वारा अपना 17 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण बरकरार रखने की भी संभावना है। राज्य कैबिनेट ने ओबीसी सर्वेक्षण से जुड़े आखिरी मसौदा को मंजूरी दे दी।

    इसमें किन लोगों को ओबीसी आरक्षण दिया जा सकता है इसका उल्लेख है। बंगाल सरकार ने 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह तीन महीने के भीतर नया ओबीसी सर्वेक्षण पूरा कर लेगी, जिसके लिए जून के तीसरे सप्ताह की समय-सीमा तय की गई थी।

    शीर्ष अदालत ने राज्य से इन जातियों के सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को स्पष्ट करने के लिए कहा था। बंगाल सरकार के लिए ओबीसी पर कानूनी गतिरोध मई 2024 में कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा साल 2010 के बाद से जारी 12 लाख ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद करने के साथ शुरू हुआ था।

    मालूम हो कि वर्ष 2011 से पहले पिछड़े वर्ग की राज्य सूची मे शामिल कुल पिछड़ी जातियों की संख्या 108 थीं जिसमें से 55 हिंदू की जबकि 53 जातियां मुस्लिम थीं। मई, 2011 में सत्ता में आने के बाद ममता सरकार ने 71 पिछड़ी जातियों को सूची में शामिल किया था, जिसमें से 65 मुस्लिम की थी। जिसपर हाई कोर्ट ने सवाल उठाते हुए इसे रद कर दिया था।

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