आत्महत्या करने जा रही आदिवासी बालिका को नई जिंदगी मिल गई
शराबी माता-पिता के अत्याचार से तंग आकर आत्महत्या करने जा रही आदिवासी बालिका को नई जिंदगी मिल गई।

खड़गपुर, [संवाद सहयोगी]। शराबी माता-पिता के अत्याचार से तंग आकर आत्महत्या करने जा रही आदिवासी बालिका को नई जिंदगी मिल गई। स्वयंसेवी संस्था की सहायता से उसे नया आशियाना मिल गया। घटना जंगल महल के झाड़ग्राम की है।
पीडि़ता पूर्णिमा मूढ़ा (13) बेलपहाड़ी थाना क्षेत्र के कांकड़ी झर्ना गांव की रहने वाली है। वह स्थानीय गर्ल्स स्कूल की कक्षा सातवी की छात्रा है। उसका एक छोटा भाई भी है जो कक्षा छठी का छात्र है। पूर्णिमा ने बताया कि उसके माता-पिता नशे के आदी हैं। वे नही चाहते कि पूर्णिमा पढ़ाई करे। उनकी चाहत है कि वह कोई काम-काज कर घर में पैसे लाए। इसी मंशा से मंगलवार को उसके माता-पिता ने उसके साथ मार-पीट कर घर से निकाल दिया।
दुखी पूर्णिमा अपने छोटे भाई की साइकिल पर बैठ कर किसी तरह बेलपहाड़ी बस स्टैंड पहुंची और अपनी एक सहेली से सात रुपये उधार लेकर बस द्वारा कोई काम ढूंढने झाड़ग्राम आई। पूरे दिन इधर-उधर भटकने के बावजूद जब उसे कोई काम नही मिला तो दुखी होकर वह आत्महत्या करने झाड़ग्राम रेलवे स्टेशन जा रही थी। इस बीच आंगनबाड़ी कार्यकत्री दीपाली माईती की नजर उस पर पड़ गई। उसने पूर्णिमा को बचा लिया और अपने साथ ले गई।
झाड़ग्राम थाने की पुलिस की सहायता से पूर्णिमा को मेदिनीपुर स्थित विद्यासागर होम भेज दिया गया। जहां उसके पठन-पाठन से लेकर कौशल विकास तक की व्यवस्था की जा रही है। पूर्णिमा मौत के बदले अचानक मिली ¨जदगी से खुश तो हैं लेकिन भाई को याद कर वह दुखी हो जाती है। झाड़ग्राम के अपर पुलिस अधीक्षक विश्वजीत महतो ने बताया कि फिलहाल मामला उनके संज्ञान में नही आ पाया है। फिर भी वे मामले की खोज-खबर लेकर उचित कार्रवाई करेंगे।

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