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जंगल के आसपास कंक्रीट, रिसोर्ट व सरकारी घरों पर वन विभाग लगाएगी जियो टैग

जागरण संवाददाता जलपाईगुड़ी गोरूमारा राष्ट्रीय उद्यान चापड़ामारी अभ्यारण्य महानंदा अभयारण्य के

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 Aug 2022 07:45 PM (IST)Updated: Thu, 25 Aug 2022 07:45 PM (IST)
जंगल के आसपास कंक्रीट, रिसोर्ट व सरकारी घरों पर वन विभाग लगाएगी जियो टैग
जंगल के आसपास कंक्रीट, रिसोर्ट व सरकारी घरों पर वन विभाग लगाएगी जियो टैग

जागरण संवाददाता, जलपाईगुड़ी : गोरूमारा राष्ट्रीय उद्यान, चापड़ामारी अभ्यारण्य, महानंदा अभयारण्य के आसपास के सभी कंक्रीट और रिसॉर्ट या सरकारी परियोजना घरों को वन विभाग जियो टैग करने जा रहा है।

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इस बारे में जिलाधिकारी मौमिता गोदारा ने बताया कि घरों की पहचान इको सेंसिटिव जोन के रूप में की जा रही है। वर्तमान में गोरूमारा राष्ट्रीय उद्यान के 1 किमी के दायरे में, चापरामारी अभ्यारण्य के 2 किमी के दायरे में, महानंदा अभ्यारण्य के 5 किमी के दायरे में जियो-टैग करने का आदेश दिया गया है। कुछ प्रतिबंधित, विनियमित, गैर-अनुमत वन विभाग जियो टैग कर रहे हैं। सभी विभाग उनकी मदद कर रहे हैं। इको-सेंसिटिव जोन में जो खेती की जाती है, उस पर भी प्रकाश डाला जाएगा। रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 दिन है।

इसके अलावा, चाय बागानों में वन्यप्राणी और मानव के बीच संघर्ष बढ़ रहा है। चाय बागान के निवासियों द्वारा हाथियों के झुंड को भगाने के लिए दस्ते के गठन की योजना पर चर्चा की गई। इसे लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा। बगान में जब हाथी आते है तो प्रबंधन को पता नहीं चल पाता है। चाय बागान का प्रबंधन हाथी की चाल का पता नहीं लगा पा रहा है। नतीजतन, हाथी कब आ रहा है इसका पता नहीं चल पाता है। चाय बागान मालिक प्रबंधन के संपादक सुमित घोष ने यह आरोप लगाया है, परिणामस्वरूप, बहुत कठिनाई होती है।

वही जिलाधिकारी ने आगे कहा कि कई चाय बागानों को तार और ब्लेड से घेरा बनाया गया है। चाय बागान के मालिक को तार हटाने की बात कही गई है।


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