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तीन घंटे साथ रहे ममता बनर्जी, हेमंत बिसवा और राज्यपाल जगदीप धनखड़, ममता ने कहा- पहाड़ से रिश्‍ता जुड़ रहा

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिसवा सरमा ने दार्जिलिंग के राजभवन में लगभग तीन घंटे तक बैठक की। बैठक समाप्त होने के बाद ममता ने राजभवन से बाहर मीडिया से बात की।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Thu, 14 Jul 2022 02:39 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jul 2022 02:43 PM (IST)
तीन घंटे साथ रहे ममता बनर्जी, हेमंत बिसवा और राज्यपाल जगदीप धनखड़, ममता ने कहा- पहाड़ से रिश्‍ता जुड़ रहा
राज्‍यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात करते असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिसवा सरमा और सीएम ममता बनर्जी। जागरण फोटो।

दार्जिलिंग, संवाद सूत्र। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड (West Bengal Governor Jagdeep Dhankhar), बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta Banerjee) और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिसवा सरमा (Assam CM Hemant Biswa Sarma) ने दार्जिलिंग के राजभवन में लगभग तीन घंटे तक बैठक की। बैठक समाप्त होने के बाद ममता ने राजभवन से बाहर मीडिया को बताया कि राज्यपाल के साथ सिर्फ चाय और बिस्कुट खाया। तीन घंटे तक बैठक हुई, मगर ये  गैर राजनीतिक थी। बैठक में राष्ट्रपति चुनाव पर भी कोई चर्चा नहीं हुई।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि असम के सीएम से हमारे संबंध अच्छे हैैं, जब मैं मां कामाख्या मंदिर (Maa Kamakhya Temple) गई थी उस समय उन्होंने पूरा सहयोग किया था। असम में बहुत बंगाली रहते हैं और हमारी सीमा भी एक दूसरे से सटी हुई है। किसी समय उनकी आवश्यकता पड़ सकती है। गुरुवार को जीटीए बोर्ड के चेयरमैन अनित थापा (GTA Board Chairman Anit Thapa) और सदस्यों के पदग्रहण समारोह पर उन्होंने कहा कि मैं शामिल नहीं होंगी। सुबह कोलकाता वापस चली जाऊंगी।

नेपाली भाषा समझती हूं, बोल नहीं पाती : ममता

 मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैं नेपाली भाषा समझती हूं परंतु बोल नहीं पाती। मेरे घर में कर्सियांग की बेटी का विवाह हो रहा है इससे मुझे नेपाली सीखने में आसानी होगी और हमारा रिश्ता पहाड़ से जुड़ रहा है। पहाड़ के लोग काफी अच्छे हैं ,उनके चेहरे पर हंसी देखकर दिल को तसल्ली मिलती है। उन्होंने ये बातें बुधवार को महाकवि भानुभक्त आचार्य (Bhanu Bhakt Aacharya) की 208 वीं जयंती पर स्थानीय चौरस्ता में आयोजित कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहीं। उन्होंने चौरस्ता स्थित भानुभक्त आचार्य की मूर्ति पर फूल और खादा अर्पित किया। भानुभक्त आचार्य नेपाली के महान कवि थे उनका जन्म 13 जुलाई 1814 को नेपाल में हुआ था


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