Move to Jagran APP

Mahashivratri 2019 : महाशिवरात्रि पर बना अद्भुत संयोग, इस शुभ बेला में शुभदायी है शिव पूजा

Mahashivaratri इस वर्ष यह रात्रि सोमवार के दिन चंद्रमा के ही श्रवण नक्षत्र में पड़ रही है।महा शिवरात्रि पर ॐ नमः शिवाय जप करते शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से सभी दुःख मिट जाते शिवकृपा प्राप्त होती है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 01 Mar 2019 03:25 PM (IST)Updated: Sun, 03 Mar 2019 12:13 PM (IST)
Mahashivratri 2019 : महाशिवरात्रि पर बना अद्भुत संयोग, इस शुभ बेला में शुभदायी है शिव पूजा
Mahashivratri 2019 : महाशिवरात्रि पर बना अद्भुत संयोग, इस शुभ बेला में शुभदायी है शिव पूजा

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। इस वर्ष महाशिवरात्रि चार मार्च सोमवार को है। सोमवार का दिन होने के कारण इस वर्ष इसका खास महत्व है। महाशिवरात्रि को लेकर सभी मंदिरों में तैयारियां प्रारंभ हो गया है। शिव की बारात के साथ मेला की सुरक्षा के लिए भी पुलिस की ओर से अभी से प्रारंभ होने लगी है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

loksabha election banner

इस बार महाशिवरात्रि पर अद्भुत संयोग बन रहा है। फाल्गुन मास के दिन आने वाले महाशिवरात्रि पर शिव जी और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए भी इस पर्व को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन शिव की पूजा करने वक्त बिल्पत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए।

महाशिवरात्रि का नाम अंतर्मन में आते ही भगवान शिव के अनेकों रूपों शिव, शंकर, रूद्र, महाकाल, महादेव, भोलेनाथ आदि-आदि रूपों के अनंत गुणों की कहानियां स्मरण होने लगती हैं। शिव ही ब्रह्म हैं और यही ब्रह्म जब आमोद-प्रमोद अथवा हास-परिहास के लिए नयापन सोचते हैं तो श्रृष्टि का सृजन करते हैं। महादेव बनकर देव उत्पन्न करते हैं तो ब्रह्मा बनकर मैथुनीक्रिया से श्रृष्टि का सृजन करते हैं। जीवों का भरण-पोषण करने के लिए महादेव श्रीविष्णु बन जाते हैं और इन जीवात्माओं का चिरस्वास्थ्य बना रहे, इसके लिए भगवान मृत्युंजय बनकर रोग हरण भी करते हैं।

इस शुभ बेला में शुभदायी है शिव पूजा

जब यही जीवात्माएं अपने शिवमार्ग से भटकती हैं और अनाचार-अत्याचार में लग जाती हैं, तो महाकाल, यम और रूद्र के रूप में इनका संहार भी करते हैं। अतः इस चराचर जगत के आदि और अंत शिव ही हैं। पृथ्वीलोक पर इनके रुद्र रूप कि पूजा सर्वाधिक होती है। पौराणिक मान्यता है कि महादेव श्रृष्टि का सृजन और प्रलय सायंकाल-प्रदोषबेला में ही करते हैं, इसलिए इनकी पूजा आराधना का फल प्रदोष काल में ही श्रेष्ठ माना गया है।

त्रयोदशी तिथि का अंत और चतुर्दशी तिथि के आरंभ का संधिकाल ही इनकी परम अवधि है। किसी भी ग्रह, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण आदि तथा सुबह-शाम के संधिकाल को प्रदोषकाल कहा जाता है। इसलिए चतुर्दशी तिथि के स्वामी स्वयं भगवान शिव ही है।वैसे तो शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष कि चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, किन्तु फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि पर इस पूजा से प्रसन्न होंगे महादेव

इस वर्ष भगवान शिव को समर्पित यह पावन रात्रि सोमवार के दिन चंद्रमा के ही श्रवण नक्षत्र में पड़ रही है। महाशिवरात्रि पर ”ॐ नमः शिवाय” का जप करते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से सभी दुःख-दारिद्रय मिट जाते हैं और शिव कृपा प्राप्त होती है।

भांग, धतूरा, बेलपत्र और गन्ने के रस, शहद, दूध, दही, घी, पंचामृत, गंगा जल, दूध मिश्रित शक्कर अथवा मिश्री से शिव आराधना करने अथवा चढ़ाने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। इस दिन रात्रि जागरण और रुद्राभिषेक करने से प्राणी जीवनमृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है।

वर्षों बाद बन रहा है शुभ व दुर्लभ संयोग

4 मार्च को महाशिवरात्रि है। महाशिवरात्रि पर्व में भूतभावन चंद्रमौलिश्वर भगवान शिव का अभिषेक-पूजन करना श्रेयस्कर माना गया है। इस दिन भक्तगण भगवान शिव का दुग्धाभिषेक, रसाभिषेक व जलाभिषेक कर पुण्य प्राप्त करते हैं। शास्त्रानुसार प्रतिवर्ष फ़ाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है किंतु इस वर्ष महाशिवरात्रि कुछ अति-महत्त्वपूर्ण व दुर्लभ संयोगों में मनाई जाएगी। यह दुर्लभ संयोग कई वर्षों बाद बनते हैं।

कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को 'प्रदोष' होता है। 4 मार्च को उदयकालीन तिथि त्रयोदशी एवं रात्रिकालीन तिथि चतुर्दशी रहेगी। चूंकि 4 मार्च को त्रयोदशी तिथि प्रदोषकाल से पूर्व ही समाप्त हो रही है इसलिए 'प्रदोष व्रत' 3 मार्च को रहेगा किंतु उदयकालीन तिथि की मान्यता के अनुसार 4 मार्च को त्रयोदशी व चतुर्दशी तिथि का संयोग रहेगा जो अत्यंत शुभ है एवं वर्षों बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बनता है।

महाशिवरात्रि पर क्या करें-

महाशिवरात्रि पर बन रहे इस शुभ व दुर्लभ संयोग में भगवान शिव का दुग्धाभिषेक, रसाभिषेक एवं जलाभिषेक करना पुण्यप्रद रहता है। जो व्यक्ति ऋण से ग्रस्त हैं उन्हें इस शुभ संयोग में शिवलिंग पर मसूर चढ़ाने से कर्ज से मुक्ति प्राप्त होने लगती है। जो व्यक्ति आर्थिक संकटों से पीड़ित हैं उन्हें इस शुभ संयोग में भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करना लाभप्रद रहेगा। भगवान शिव का रसाभिषेक करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति मोक्ष के आकांक्षी है उन्हें महाशिवरात्रि पर बने इस शुभ संयोग में भगवान आशुतोष का गाय के दूध से दुग्धाभिषेक करना मोक्षदायक रहेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.