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    Uttarkashi Cloudburst: विनाशकारी बाढ़ के लिए कुख्यात रही है खीर गंगा नदी, 19वीं सदी में दब गए थे 240 मंदिर

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 11:57 PM (IST)

    उत्तरकाशी में भागीरथी नदी की सहायक खीर गंगा में अक्सर बाढ़ आती रहती है। 19वीं सदी में आई बाढ़ में 240 मंदिर मलबे में दब गए थे। 2013 और 2018 में भी बाढ़ से भारी नुकसान हुआ। धराली में कभी 240 मंदिरों का समूह था जो खीरगंगा नदी में आई बाढ़ में दब गया। 2018 में खीर गंगा में उफान से गंगोत्री हाईवे पर मलबा भर गया था।

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    धराली में विनाशकारी बाढ़ के बाद चारों ओर फैला मलबा।- स्रोत- पुलिस विभाग

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Uttarkashi Cloudburst: भागीरथी नदी की सहायक खीर गंगा में बाढ़ की यह कोई पहली घटना नहीं है। श्रीकंठ पर्वत शिखर से निकलने वाली खीर गंगा नदी अपनी विनाशकारी बाढ़ के लिए कुख्यात रही है। 19वीं सदी में इस नदी में आई बाढ़ में कभी कल्पकेदार मंदिर समूह का हिस्सा रहे 240 मंदिर मलबे में दब गए थे। उसके बाद भी इस नदी में समय-समय पर सैलाब आता रहा। वर्ष 2013 व 18 में भी खीर गंगा नदी में आई बाढ़ से काफी नुकसान हुआ था।

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    दरअसल, गोमुख से निकलने वाली गंगा(भागीरथी) नदी में कई छोटी-बड़ी सहायक नदियां मिलती है। धराली के पास भागीरथी नदी में खीर गंगा नदी का मिलन होता है। लेकिन इस नदी का पानी जितना शांत प्रतीत होता है। उससे कहीं अधिक रोंगटे खड़े कर देने वाला इतिहास समेटे हुए है।

    बताते हैं कि कभी धराली में 240 मंदिरों का समूह हुआ करता था, जो कि कत्यूरी शैली में बने हुए थे। इन मंदिरों का उल्लेख वर्ष 1816 में गंगा भागीरथी के उद्गम की खोज में निकले अंग्रेज यात्री जेम्स विलियम फ्रेजर ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में किया है। लेकिन 19वीं सदी की शुरुआत में खीरगंगा नदी में आई विनाशकारी बाढ़ में उक्त मंदिरों का समूह मलबे में दब गया।

    इसके बाद वर्ष 2013 में जब भागीरथी नदी में विनाशकारी बाढ़ आई, तब भी खीरगंगा नदी में बाढ़ आई थी। वर्ष 2018 के अगस्त माह में रात करीब दस बजे खीर गंगा में उफान के साथ भारी मलबा आया था, जिससे गंगोत्री हाईवे पर बनी पुलिया चोक होने के बाद ऊपरी हिस्से में मलबे का जमाव बढ़ता चला गया।

    नदी के पानी के साथ आया मलबा यहां बाढ़ सुरक्षा दीवार को फांद कर 50 से अधिक होटल एवं घरों में जा घुसा था। प्राचीन कल्प केदार मंदिर का आधा हिस्सा मलबे में दब गया। साथ ही आपदा में नदी से लगे सेब के बागीचों को भारी नुकसान पहुंचा था।

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