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    Uttarkashi Avalanche : लापता दो पर्वतारोहियों की तलाश जारी, 10 और शव हेलीकॉप्टर से लाए गए मातली

    Uttarkashi Avalanche एवलांच की चपेट में आकर लापता दो पर्वतारोहियों की तलाश में खोज अभियान जारी है। अब तक 27 पर्वतारोहियों के शव बरामद हो चुके हैं। बता दें कि 34 पर्वतारोही मंगलवार चार अक्‍टूबर को एवलांच की चपेट में आ गया था।

    By Shailendra prasadEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sun, 09 Oct 2022 01:42 PM (IST)
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    Uttarkashi Avalanche : दो पर्वतारोहियों की तलाश में खोज अभियान जारी। फाइल फोटो

    टीम जागरण, उत्तरकाशी : Uttarkashi Avalanche : द्रौपदी का डांडा (डीकेडी) चोटी पर हुए हिमस्खलन (एवलांच) की चपेट में आकर लापता दो पर्वतारोहियों की तलाश में खोज अभियान जारी है। रविवार को उत्तरकाशी में मौसम खुलते ही प्रशिक्षु पर्वतारोहियों के शव को निकालने के लिए हेली रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया गया।

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    द्रौपदी का डांडा बेस कैंप से 10 शव को हवाई सेना के हेलीकॉप्टर के जरिए मातली हेलीपैड पहुंचाया गया। मातली में आईटीबीपी के अस्पताल परिसर में ही इन शवों का पोस्टमार्टम किया जाएगा। इन शवों की शिनाख्त की जा चुकी है।

    पर्वतारोहियों के नाम

    • सतीश रावत, ऋषिकेश रोड चंबा नई टिहरी
    • कपिल पंवार, ब्रह्मखाल उत्तरकाशी
    • नरेंद्र सिंह, ग्राम मल्ला, जिला पौड़ी गढ़वाल
    • रक्षित कुमार, कर्नाटक
    • अमित कुमार शाह, बंगाल
    • अतानु धर निवासी स्ट्रीट नंबर 6, अपोजिट लवन्य अस्पताल मैदान गरीह रोड छत्तरपुर नई दिल्ली
    • गोहिल अर्जुनसिन, स्वामी विवेकानंद पर्वतारोहण संस्थान, माउंट आबू
    • अंशुल कैंथला, ग्राम श्रीकोट, हलनीधार शिमला हिमाचल
    • विक्रम एम, कर्नाटक
    • शुभम सिंह, 6 पैरा स्पेशल फोर्स

    वहीं अब द्रौपदी डांडा बेस कैंप और एडवांस बेस कैंप में अब 6 पर्वतारोहियों के शव हैं। इन शवों को हेली के जरिए उत्तरकाशी पहुंचाया जाना है।

    27 पर्वतारोहियों के शव बरामद

    अब तक 27 पर्वतारोहियों के शव बरामद हो चुके हैं। पांच घायलों का उत्तरकाशी में उपचार चल रहा है। सात शवों को शनिवार को द्रौपदी का डांडा बेस कैंप से मातली हेलीपैड पहुंचाया गया। वहीं द्रौपदी का डांडा क्षेत्र में हिमपात होने से अभियान दल की चुनौती बढ़ गई है।

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    चार अक्‍टूबर को एवलांच की चपेट में आए थे 34 सदस्य

    एयरफोर्स, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम), एसडीआरएफ और जम्मू-कश्मीर हाई एल्टीटयूट वारफेयर स्कूल, गुलमर्ग की टीम खोज अभियान में जुटी है। बता दें कि निम का 42 सदस्यीय दल 23 सितंबर को द्रौपदी का डांडा में प्रशिक्षण के लिए गया था। मंगलवार चार अक्‍टूबर को दल के 34 सदस्य एवलांच की चपेट में आ गए थे।

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    दो प्रशिक्षक सहित 11 प्रशिक्षुओं की दम घुटने से हुई मौत

    हिमस्खलन की घटना में अभी तक दो प्रशिक्षक सहित 11 प्रशिक्षुओं के शवों की शिनाख्त और पोस्टमार्टम हो चुके हैं। पोस्टमार्टम करने वाली टीम में शामिल जिला अस्पताल उत्तरकाशी के वरिष्ठ चिकित्सक डा. पीएस पोखरियाल ने बताया कि एक शव पर हल्का खरोंच का निशान था। केवल कुछ शवों के कुछ हिस्सों पर बर्फ से हाइपोथर्मिया के निशान बने मिले। बर्फ में दब जाने के कारण इनकी मौत का मुख्य कारण दम घुटना ही है।

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    पंचतत्व में विलीन हुई पर्वतारोही नवमी रावत

    भुक्की गांव की पर्वतारोही नवमी रावत का अंतिम संस्कार भागीरथी के किनारे भुक्की के पैतृक घाट पर किया गया। बेटी के अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में हुजूम उमड़ा। इस दौरान होनहार बेटी के अंतिम विदाई देने पर सबकी आंखें नम हुई।

    निम की प्रशिक्षक नवमी रावत की मां और दो बहनों का रो-रोकर बुराहाल है। नवमी रावत की मृत्यु की सूचना चार अक्टूबर को ही आ गई थी। उस दिन नवमी रावत के घर चूल्हा नहीं जला। लाड़ली बेटी की दर्दनाक मौत से पूरे भुक्की गांव में मातम पसरा है।

    रोहित के गांव लौटने पर स्वजन में खुशी की लहर

    नेहरू पर्वतारोहरण में जिन छह व्यक्तियों की जान बची है उन भाग्यशाली में टिहरी जिले के पाली गांव निवासी रोहित भट्ट भी शामिल था। शुक्रवार को एम्स ऋषिकेश में उपचार के बाद शनिवार को गांव पहुंचने पर परिजनों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

    टिहरी जिले के खाल-पाली गांव निवासी रोहित भट्ट भी हिमनद में फंस गए थे। रोहित ने बताया कि उन्होंने चार लोगों को सकुशल रेस्क्यू और चार शवों को बर्फ से बाहर निकाला। इसके बाद एसडीआरएफ ने रोहित सहित कई अन्य को रेस्क्यू कर अस्पताल भर्ती कराया।

    बीते दिवस एम्स ऋषिकेश से उपचार के बाद रोहित अपने गांव खाल-पाली पहुंचे। उनके पिता जगदंबा प्रसाद भट्ट, मां दुर्गा देवी, हितम के अध्यक्ष शिव सिंह नेगी दीपक भट्ट आदि ने उनका स्वागत किया।