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    Uttarkashi Avalanche : इकलौते बेटे का शव देख फूट-फूट कर रोने लगे हिमाचल के संतोष, इस भावुक पल में भर आई हर आंख

    By Shailendra prasadEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sat, 08 Oct 2022 09:49 AM (IST)

    Uttarkashi Avalanche गत 4 अक्टूबर की सुबह 800 बजे शिवम कैंथला सहित पूरा दल द्रौपदी का डंडा आरोहण करने ही वाला था। इकलौते बेटे शिवम कैंथला की मौत से उसके परिवार का रो-रो के बुरा हाल है।

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    Uttarkashi Avalanche : हिमाचल प्रदेश के शिवम कैंथला। फाइल फोटो

    शैलेंद्र गोदियाल उत्तरकाशी : Uttarkashi Avalanche : हिमाचल प्रदेश के शिमला में नारकंडा के शिवम कैंथला के परिवार पर द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन हादसे का पहाड़ बनकर टूटा है। इकलौते बेटे शिवम कैंथला की मौत से उसके परिवार का रो-रो के बुरा हाल है। जिस कलेजे के टुकड़े से घर में चारों तरफ खुशी चहकती रहती थी, वह सिर्फ यादों में सिमटकर रह गया है।

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    शिवम के पिता संतोष कैंथला को जब हादसे की खबर मिली तो वह अपनी रिश्तेदारों के साथ 4 अक्टूबर की रात को ही उत्तरकाशी पहुंच गए थे। वह बेटे शिवम कैंथला को सकुशल गांव ले जाने आए थे। परंतु तकदीर का खेल देखिए जिस बेटे के लिए पिता ने बड़े-बड़े सपने देखे थे, उस बेटे की अर्थी लेकर पिता को गांव लौटना पड़ा।

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    संतोष कैंथला का इकलौता बेटा था शिवम कैंथला

    हिमाचल प्रदेश के नारकंडा गांव के सेब बागवान संतोष कैंथला का शिवम कैंथला इकलौता बेटा था। जो उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन की चपेट में आए प्रशिक्षु पर्वतारोही दल का सदस्य था।

    गत 4 अक्टूबर की सुबह 8:00 बजे शिवम कैंथला सहित पूरा दल द्रौपदी का डंडा आरोहण करने ही वाला था। 100 मीटर पहले भारी हिमस्खलन हुआ और दल के 29 सदस्य क्रेवास के अंदर दब गए। जिनमें शिवम कैंथला भी दबा।

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    शिवम कैंथला की पिता को एक चमत्कार की उम्मीद थी कि उनका बेटा सहित दल के अन्य सदस्य सकुशल लौट आएंगे, पर ऐसा नहीं हुआ। शुक्रवार को हर्षिल से उत्तरकाशी लाए गए चार शवों में से दो शव की शिनाख्त पहले ही हो चुकी थी। उक्‍त दो शव एवरेस्टर सविता कंसवाल और नवमी रावत के थे।

    भावुक पल में हर आंख भर आई

    जबकि दो अन्य शवों की शिनाख्त शिवम कैंथला और अजय बिष्ट के रूप में हुई। इकलौते बेटे की मौत से शिवम के पिता संतोष फूट-फूट कर रोने लगे। इस भावुक पल में हर आंख भर आई। उनका दुख हर किसी को अंदर तक कचोट गया। उत्तरकाशी में उनके कुछ रिश्तेदारों और यहां के स्थानीय लोगों ने संतोष को ढांढस बंधाया।

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