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    चारधाम दर्शन : शीतकालीन पड़ावों में उतर आए हैं देवभूमि के ईष्ट

    By Ajay KumarEdited By: Sunil Negi
    Updated: Fri, 12 Dec 2025 04:37 PM (IST)

    उत्तराखंड में चारधाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन गद्दीस्थलों में श्रद्धालुओं की चहल-पहल बढ़ गई है। सबसे ज्यादा श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन के ल ...और पढ़ें

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    उत्तराखंड के शीतकालीन गद्दीस्थलों।

    अजय कुमार, जागरण, उत्तरकाशी: उत्तराखंड में चारधाम के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन गद्दीस्थलों में श्रद्धालुओं की चहल-पहल बढ़ने लगी है। सर्वाधिक श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन को ओंकारेश्वर धाम पहुंच रहे हैं।

    ‘स्कंद पुराण’ में उल्लेख है कि गद्दीस्थलों की यात्रा का भी वही पुण्य प्राप्त होता है, जो चारधाम यात्रा का, इसलिए जो यात्री किन्हीं कारणों से चारधाम नहीं जा पाते, उन्हें शीतकाल में गद्दीस्थलों के दर्शन करने चाहिए। गद्दीस्थलों तक पहुंचना चारधाम पहुंचने से ज्यादा आसान है और यहां स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी नहीं होती।

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    शीतकाल में भगवान बदरी विशाल की पूजा चमोली जिले के योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व नृसिंह मंदिर ज्योतिर्मठ, भगवान केदारनाथ की पूजा रुद्रप्रयाग जिले के ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ, मां गंगा की पूजा उत्तरकाशी जिले के गंगा मंदिर मुखवा (मुखीमठ) और देवी यमुना की पूजा यमुना मंदिर खरसाली (खुशीमठ) में होती है।

    इस दौरान आप प्रकृति की सुंदरता निहारने के साथ आसपास स्थित खूबसूरत पर्यटन व तीर्थस्थलों का दीदार भी कर सकते हैं।

    yog-dhyan badri mandir

    योग-ध्यान बदरी मंदिर

    बदरीनाथ हाईवे पर ज्योतिर्मठ से 24 किमी आगे योग-ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में शीतकाल के दौरान भगवान बदरी विशाल के प्रतिनिधि उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी की पूजा होती है। चमोली जिले में 6,298 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर सप्त बदरी मंदिरों में से एक है, जिसकी स्थापना पांडव काल में हुई बताई जाती है।

    Narsingh Temple, Jyotirmath

    नृसिंह मंदिर

    चमोली जिले में 6,150 फीट की ऊंचाई पर ज्योतिर्मठ नगर में भगवान नृसिंह का भव्य मंदिर है, जहां शीतकाल में आदि शंकराचार्य की गद्दी और गरुड़जी की पूजा होती है।

    कहते हैं कि आठवीं शताब्दी में राजा ललितादित्य ने अपनी दिग्विजय यात्रा के दौरान नृसिंह मंदिर का निर्माण करवाया था।

    कुछ वर्ष पूर्व श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया है, जो उत्तराखंड का तीसरा सबसे ऊंचा मंदिर है।

    यहां आकर आप विश्व प्रसिद्ध स्कीइंग स्थल औली की सैर के अलावा आदि बदरी, वृद्ध बदरी, शंकराचार्य मठ, पंचम केदार कल्पेश्वर धाम आदि के भी दर्शन कर सकते हैं।

    Omkareshwar Temple

    ओंकारेश्वर मंदिर

    रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ में 4,300 फीट की ऊंचाई पर अतिप्राचीन धारत्तुर परकोटा शैली में बना विश्व का यह एकमात्र मंदिर न केवल भगवान केदारनाथ, बल्कि द्वितीय केदार बाबा मध्यमेश्वर का शीतकालीन गद्दीस्थल भी है।

    पंचकेदार की दिव्य मूर्तियां एवं शिवलिंग स्थापित होने के कारण इसे पंचगद्दी स्थल भी कहा गया है। यहां आकर आप गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर, त्रियुगीनारायण, कालीमठ व महर्षि अगस्त्य मंदिर में भी दर्शन कर सकते हैं।

    Ganga Temple

    गंगा मंदिर

    उत्तरकाशी जिले में भागीरथी नदी के किनारे और हिमालय की गगनचुंबी सुदर्शन, बंदरपूंछ, सुमेरू व श्रीकंठ चोटियों की गोद में 8,528 फीट की ऊंचाई पर स्थित मुखवा (मुखीमठ) गांव को गंगा का मायका भी कहा जाता है।

    यहां की खूबसूरत वादियां, देवदार के घने जंगल, चारों ओर बिखरी सुंदरता, हिमाच्छादित चोटियां, पहाड़ों पर पसरे हिमनद और मुखवा की तलहटी में शांत भाव से कल-कल बहती भागीरथी का सम्मोहन हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है।

    मुखवा आकर आप लक्ष्मी-नारायण मंदिर में दर्शन करने के अलावा आसपास स्थित हर्षिल, बगोरी, लामा टाप आदि पर्यटन स्थलों की सैर भी कर सकते हैं।

    Yamuna Temple

    यमुना मंदिर

    उत्तरकाशी जिले में 8,200 फीट की ऊंचाई पर यमुना नदी के किनारे प्रकृति की सुरम्य वादियों में बसे खरसाली गांव को यमुना का मायका भी कहा जाता है।

    यहां यमुना मंदिर के साथ यमुना के भाई शनिदेव का भी पौराणिक मंदिर भी है, जिसे पुरातत्व विभाग ने 800 वर्ष से अधिक पुराना बताया है।

    शीतकाल के दौरान खरसाली में जमकर बर्फबारी होती है, जिसका आनंद उठाने पर्यटक बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। यहां आकर आप बड़कोट स्थित पौराणिक शिव व देवी मंदिर, बड़कोट के पास गंगानी कुंड आदि का दीदार भी कर सकते हैं।

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    खाने-ठहरने के पर्याप्त इंतजाम

    चारों धाम के शीतकालीन गद्दीस्थलों पर होटल, धर्मशाला व होम स्टे की कमी नहीं है। होम स्टे में श्रद्धालु व पर्यटक पहाड़ के पारंपरिक भोजन का जायका भी ले सकते हैं।

    इसमें आलू के गुटखे, मंडुवा, फाफरा व चौलाई की रोटी, चौलाई का हलुवा, झंगोरे का भात व खीर, गहत की दाल व फाणू, चैंसू, राजमा की दाल, राई व पहाड़ी पालक की सब्जी प्रमुख हैं।

    Kalimath

    ऐसे पहुंचें

    चारों पड़ावों के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश में पड़ता है। सभी पड़ाव सीधे मोटर मार्ग से जुड़े हुए हैं, इसलिए ऋषिकेश से सार्वजनिक व निजी वाहनों के जरिये आसानी से यहां पहुंचा जा सकता है। गद्दीस्थलों में कड़ाके की ठंड पड़ने के साथ जमकर बर्फबारी भी होती है, इसलिए गर्म कपड़े और जरूरी दवाइयां साथ लेकर आएं।

    Kalimath temp

    शीतकालीन दर्शन को पहुंचे श्रद्धालु

    • धाम, कुल श्रद्धालु (7 दिसंबर तक)
    • यमुना मंदिर, 458
    • गंगा मंदिर, 2,390
    • ओंकारेश्वर मंदिर, 21,700
    • नृसिंह मंदिर, 900
    • योग-ध्यान बदरी मंदिर, 295

     (इनपुट : गोपेश्वर से देवेंद्र रावत, रुद्रप्रयाग से बृजेश भट्ट)

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