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UKSSSC Paper Leak : सिस्टम की कृपा से हाकम बनाता रहा आलीशान रिसॉर्ट, यहां नेताओं और नौकरशाह की हुई खूब खातिरदारी

UKSSSC Paper Leak वर्ष 2008-09 में हाकम सिंह ने राजस्व व वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण व अवैध निर्माण शुरू किया। मोरी सांकरी में हाकम के पांच रिसॉर्ट जो वन और राजस्व विभाग की भूमि पर बने हुए हैं वह सरकारी सिस्टम को चिढ़ा रहे हैं।

By Shailendra prasadEdited By: Nirmala BohraPublished: Thu, 29 Sep 2022 11:26 AM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 11:26 AM (IST)
UKSSSC Paper Leak : सिस्टम की कृपा से हाकम बनाता रहा आलीशान रिसॉर्ट, यहां नेताओं और नौकरशाह की हुई खूब खातिरदारी
UKSSSC Paper Leak : वन विभाग और राजस्व विभाग के अफसरों ने अपने आंखों पर पट्टी बांधे रखी। जागरण

शैलेंद्र गोदियाल उत्तरकाशी : UKSSSC Paper Leak : यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में आरोपित हाकम सिंह रावत के अवैध कारनामों पर वर्षों तक वन विभाग और राजस्व विभाग के अफसरों ने अपने आंखों पर पट्टी बांधे रखी।

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मोरी सांकरी में हाकम सिंह के पांच रिसॉर्ट जो वन विभाग और राजस्व विभाग की करीब 100 नाली भूमि पर बने हुए हैं, वह पूरे सरकारी सिस्टम को चिढ़ा रहे हैं।

पिछले 14 वर्षों के अंतराल में वन विभाग और राजस्व विभाग में तैनात रहे अफसरों ने हाकम सिंह को इस अनैतिक कार्य करने से रोकने की जहमत तक नहीं उठाई। बल्कि ये रिसॉर्ट नेताओं और नौकरशाहों के लिए ऐशगाह बने रहे और हाकम सिंह पर सिस्टम की कृपा भी बरसती रही।

2002 में वरिष्ठ नौकरशाह के संपर्क में आया हाकम

दरअसल लिवाड़ी गांव निवासी हाकम सिंह वर्ष 2002 में उत्तरकाशी जिले में तैनात एक वरिष्ठ नौकरशाह के संपर्क में आया। जिसके कारण हाकम सिंह की सत्ता और सिस्टम से निकटता बनी।

लिवाड़ी गांव से 27 किलोमीटर पहले सांकरी गांव में करीब छह नाली भूमि हाकम सिंह की पत्नी विसुली देवी के नाम पर है। बताया जाता है कि यह भूमि हाकम सिंह को दहेज में मिली। हाकम सिंह रावत ने पहले इस भूमि पर एक भवन और एक अन्न का कोठार तैयार किया।

वर्ष 2008-09 में हाकम सिंह ने राजस्व व वन विभाग की भूमि पर अतिक्रमण व अवैध निर्माण शुरू किया। जब अवैध निर्माण शुरुआत हुई तो उस दौरान मोरी में तहसीलदार नकलीराम सैनी, पुरोला में एसडीएम एचएल मर्तोलिया, गोविंद वन्यजीव विहार का उपनिदेशक गोरखनाथ यादव और रेंज अधिकारी कुंदन सिंह राणा थे।

इन अधिकारियों के बाद 9 तहसीलदार, 13 उपजिलाधिकारी, 13 पार्क उप निदेशक और 4 रेंज अधिकारी आ चुके हैं। परंतु किसी ने भी हाकम सिंह के विरुद्ध कार्रवाई करने की जहमत तक नहीं उठाई।

प्रति वर्ष आठ नाली भूमि पर अतिक्रमण

हाकम सिंह रावत ने सांकरी गांव के निकट 1.128 हेक्टेयर राजस्व भूमि और 0.907 हेक्टेयर वन विभाग की भूमि पर कब्जा किया। कुल मिलाकर राजस्व और वन विभाग कर करीब 100 नाली भूमि पर हाकम सिंह ने अतिक्रमण किया। सूत्रों के अनुसार यह अतिक्रमण वर्ष 2008 से लेकर वर्ष 2020 के बीच किया गया। यानि हाकम सिंह ने प्रतिवर्ष वन विभाग और राजस्व की आठ नाली भूमि अतिक्रमण किया।

दस वर्ष में बनाए पांच रिसॉर्ट

हाकम सिंह रावत ने सबसे पहले पत्नी के नाम पर दर्ज भूमि में एक भवन और एक कोठार बनाया। वर्ष 2008-09 से अवैध निर्माण करना शुरू किया। वन विभाग की भूमि पर दो रिसॉर्ट तैयार किए।

जबकि राजस्व भूमि पर तीन रिसॉर्ट बनाए। इन रिसॉर्ट का निर्माण एक रात में नहीं हुआ है। बल्कि पिछले 12 वर्षों के अंतराल में हुआ है। इन रिसॉर्ट को बनाने की न तो कहीं से अनुमति ली गई और न इनका कोई पंजीकरण किया। जो पूरी तरह से अवैध हैं।

फैलता जा रहा था सेब का बागीचा

गोविंद वन्यजीव विहार की वन भूमि पर अतिक्रमण कर हाकम सिंह सेब का बागीचा फैलाता जा रहा था। वन विभाग की भूमि पर वर्ष 2010 से लेकर 2015 के बीच हाकम सिंह रावत ने सेब का बागीचा तैयार किया। इस अवैध बागीचे में 130 सेब के पेड़ हैं।

किसने उपलब्ध कराई देवदार की लकड़ी

हाकम सिंह रावत के पांच आलीशान भवनों के निर्माण में देवदार की लकड़ी का सबसे अधिक उपयोग हुआ। देवदार संरक्षित प्रजाति का वृक्ष है तथा इसकी लकड़ी बेसकीमती है।

एक रिसॉर्ट में तो ईट पत्थरों के स्थान पर भी देवदार की लकड़ी का उपयोग हुआ है। गोविंद वन्यजीव विहार नेशनल पार्क क्षेत्र के अवैध रिसॉर्ट निर्माण के लिए इतनी लकड़ी कहां से आयी, यह सवाल अनुतरित है।

अवैध रिसॉर्ट बना रहा नौकरशाहों का ऐशगाह

सांकरी में हाकम सिंह का अवैध आलीशान रिसॉर्ट नेताओं और नौकरशाहों के लिए ऐशगाह रहा है। यह नेताओं और प्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाह की खूब खातिरदारी होती रही है।

अवैध रिसॉर्ट में नेताओं और अधिकारियों के फोटो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हैं। यहां तक कि जखोल में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान सरकारी सिस्टम ने अपने कर्मियों के विश्राम के लिए हाकम के अवैध रिसॉर्ट की सेवा ली।

आपदा आने का था बड़ा कारण

वर्ष 2019 मोरी के आराकोट में आपदा आने का यह बड़ा कारण रहा है। जंगलों को काटकर बनाएं गए सेब के बागीचों से सबसे अधिक कटाव हुआ है। जिसने तबाही का रूप लिया। बागीचे वन भूमि में होने के कारण आराकोट क्षेत्र के उन काश्तकारों को मुआवजा भी नहीं दिया गया।

नौकरशाहों के भी है बागीचे

मोरी ब्लाक में अधिकांश सेब के बागीचे वन भूमि पर है। सूत्रों के अनुसार नैटवाड़, कोटगांव, भीतरी, दणकाणगांव क्षेत्र में उत्तराखंड के अधिकांश नौकरशाहों व सेवानिवृत अधिकारियों के बागीचे हैं। चर्चा है कि ये अधिकांश बागीचे 80 प्रतिशत सरकारी भूमि पर हैं।

हाकम सिंह के रिसॉर्ट का होगा विस्तृत सर्वे, टीम गठित

हाकम सिंह रावत के रिसॉर्ट मामले में पुरोला परगना मजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई हुई। जिसमें परगना मजिस्ट्रेट देवानंद शर्मा ने तहसीलदार मोरी के नेतृत्व में आठ सदस्सीय सर्वे टीम गठित की तथा 7 अक्टूबर तक हाकम सिंह के सांकरी सिदरी स्थित भवन व भूमि की विस्तृत सर्वे रिपोर्ट देने के आदेश दिए। यह सुनवाई राजस्व भूमि पर किए गए अवैध निर्माण को लेकर की गई।

7 अक्टूबर के बाद हटेगा अतिक्रमण

गोविंद वन्यजीव विहार की वन भूमि पर हाकम सिंह रावत ने दो रिसॉर्ट बनाए है तथा सेब का बागीचा तैयार किया है। गोविंद वन्यजीव विहार की ओर से हाकम सिंह को नोटिस जारी किया गया था। 26 सितंबर को हाकम सिंह का भाई और अधिवक्ता सांकरी पहुंचा था। मौके पर वह कोई भी कागज दिखा नहीं पाए। जिसके बाद वन भूमि पर अवैध रिसॉर्ट तोड़ने को लेकर गोविंद वन्यजीव विहार की टीम ने जेसीबी की तलाश की।

स्थानीय ठेकेदारों ने इनकार किया। गोविंद वन्यजीव विहार की टीम ने जिलाधिकारी को भी सूचना दी। गोविंद वन्यजीव विहार के उप निदेशक डीपी बलूनी ने कहा कि वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण को 7 अक्टूबर के बाद राजस्व विभाग के साथ मिलकर संयुक्त रूप से हटाया जाएगा।


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