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    कलयुग के दो श्रवण कुमार… फिर अयोध्या में कराएंगे रामलला के दर्शन, मां को कांवड़ में बैठाकर चारधाम यात्रा पर निकले

    त्रेता युग के श्रवण कुमार की कथा तो सब ने सुनी होगी। श्रवण कुमार ने अपने बूढ़े माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर यात्रा कराई थी। इस कलयुग में भी तेजपाल और धीरज नाम के श्रवण कुमार जैसे दो पुत्र देखने को मिले हैं। जो अपने माता को कांवड़ में बैठाकर यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने गंगा यमुना के मायके क्षेत्र पहुंचकर कपाट खुलने के दिन तक यमुनोत्री धाम...

    By Shailendra prasad Edited By: Riya Pandey Updated: Mon, 29 Apr 2024 09:36 PM (IST)
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    मां को कांवड़ में बैठाकर चारधाम यात्रा करवाने को निकले बेटे

    संवाद सूत्र, बड़कोट। त्रेता युग के श्रवण कुमार की कथा तो सब ने सुनी होगी। श्रवण कुमार ने अपने बूढ़े माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर यात्रा कराई थी। इस कलयुग में भी तेजपाल और धीरज नाम के श्रवण कुमार जैसे दो पुत्र देखने को मिले हैं। जो अपने माता को कांवड़ में बैठाकर यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने गंगा यमुना के मायके क्षेत्र पहुंचकर कपाट खुलने के दिन तक यमुनोत्री धाम दर्शन कराने सहित चारधाम यात्रा का संकल्प लिए हुआ है।

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    तेजपाल ने बताया कि 10 मई को गंगोत्री यमुनोत्री सहित केदारनाथ धाम के कपाट खुलने हैं। चारधाम यात्रा शुरू हो जानी हैं, इसलिए वह अपनी मां को चारधाम यात्रा करवाने के लिए निकले हैं। वह हिमाचल के सोलन बद्दी में रहते हैं। जहां से अपनी मां राजेश्वरी को कांवड़ में बैठाकर चारधाम यात्रा के लिए निकलने हैं।

    घर से 350 किमी की तय कर चुके हैं यात्रा

    सोलन से उत्तरकाशी तक करीब 350 किलोमीटर की यात्रा तय कर चुके हैं। धीरज ने कहा कि वह दोनों भाई पहले बद्दी सोलन हिमाचल में जूस का ठेला लगाते थे। उन्होंने अचानक ही माता को यात्रा कराने का मन बनाया। पहले यमुनोत्री दर्शन करेंगे, फिर गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के दर्शन के लिए जाएंगे।

    उनका संकल्प है कि अपनी माता को चारधाम के दर्शन कराने के बाद मां को कांवड़ में बिठाकर ही अयोध्या श्री राम मंदिर में दर्शन करने जाएंगे। फिर वहां से अपने घर सोलन लौटेंगे।

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