बर्फ के आगोश में उत्तरकाशी का हर्षिल, सिर्फ दो बच्चों ने दी परीक्षा
हर्षिल घाटी ने इन दिनों बर्फ की चादर ओढ़ी हुई है। इसका सबसे अधिक प्रभाव नौनिहालों की शिक्षा पर पड़ रहा है। बर्फबारी के कारण घाटी में प्राथमिक स्कूल तो हफ्तेभर से बंद हैं।
उत्तरकाशी, जेएनएन। हर्षिल घाटी ने इन दिनों बर्फ की चादर ओढ़ी हुई है। इसका सबसे अधिक प्रभाव नौनिहालों की शिक्षा पर पड़ रहा है। बर्फबारी के कारण घाटी में प्राथमिक स्कूल तो हफ्तेभर से बंद हैं, लेकिन एकमात्र इंटर कॉलेज में बच्चों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। स्थिति यह है कि बच्चे मासिक परीक्षाएं देने भी नहीं पहुंच पाए। बुधवार को 65 में से केवल दो बच्चों ने ही परीक्षा दी। इनमें एक छात्र और एक छात्रा शामिल थे।
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 75 किमी दूर और समुद्रतल से 2650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हर्षिल इन दिनों दो से तीन फिट तक बर्फ जमी हुई है। ऐसे में लोगों के लिए घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। घाटी के गांवों को बाजार से जोडऩे वाले रास्ते भी बर्फ से अटे हुए हैं। इसका सबसे ज्यादा असर शिक्षा व्यवस्था पर पड़ा है। खासकर राइंका हर्षिल के छात्र-छात्राओं के लिए विद्यालय पहुंचना मुश्किल हो गया है। छात्रों का कहना है कि मासिक परीक्षा तो छोडि़ए, विद्यालय पहुंचना ही उनके लिए सबसे बड़ी परीक्षा है। ठंड इतनी है कि कलम भी सही ढंग से नहीं पकड़ी जा रही।
कॉलेज के प्रधानाचार्य केशर सिंह नेगी ने बताया कि राइंका हर्षिल में सुक्की, झाला, पुराली, जसपुर, बगोरी, मुखवा व धराली के 65 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इस बार मासिक परीक्षा 17 व 18 दिसंबर को आयोजित हुई। सभी छात्र-छात्राओं को परीक्षा की सूचना भी दी गई थी।
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लेकिन, गांवों से विद्यालय को जोड़ने वाले रास्तों पर दो से तीन फीट तक बर्फ होने के कारण जबर्दस्त फिसलन बनी हुई है। ऐसी स्थिति में अभिभावक बच्चों को विद्यालय भेजने से कतरा रहे हैं। इसी स्थिति को देखते हुए घाटी केप्राथमिक विद्यालय सप्ताहभर पहले ही बंद कर दिए गए थे। जबकि, घाटी में शीतकालीन अवकाश पहली से 31 जनवरी तक रहता है।
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