Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Uttarkashi Tunnel Rescue: कभी सरिया बना बाधा तो कभी मशीन हुई फेल, 17 दिन चले रेस्क्यू ऑपरेशन की 17 कहानियां

    By Jagran NewsEdited By: riya.pandey
    Updated: Tue, 28 Nov 2023 03:17 PM (IST)

    Uttarkashi Tunnel Rescue Operation उत्तरकाशी में दीपावली के दिन यानी 12 नवंबर की सुबह करीब साढ़े पांच बजे सिलक्यारा से डंडालगांव तक बनाई जा रही अत्याधुनिक सुरंग का हिस्सा धंस गया है और आठ राज्यों के 41 मजदूर सुरंग में ही फंस गए थे। सुरंग में 17 दिन तक चले खोज बचाव अभियान में कई बाधाएं समाने आयी। देखिए हर दिन के बचाव कार्य के अपडेट...

    Hero Image
    उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे पर हर दिन के अपडेट

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Uttarakhand Tunnel Rescue News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में दीपावली के दिन यानी 12 नवंबर की सुबह करीब साढ़े पांच बजे सिलक्यारा से डंडालगांव तक बनाई जा रही अत्याधुनिक सुरंग का हिस्सा धंस गया है और आठ राज्यों के 41 मजदूर सुरंग में ही फंस गए थे। यह हादसा मजदूरों की शिफ्ट बदलने के दौरान हुआ था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हालांकि सुरंग में भूस्खलन की घटना का पता चलते ही केंद्र व उत्तराखंड सरकार युद्धस्तर पर बचाव कार्य में लगी रही। कई देशों से अत्याधुनिक मशीनें और विशेषज्ञों को बुलाया गया।

    सुरंग में 17 दिन तक चले खोज बचाव अभियान में कई बाधाएं समाने आयी। इन बाधाओं से निपटने में खोज बचाव टीम युद्ध स्तर जुटी रही। हौसले के साथ डटकर खोज बचाव टीम ने इन बाधाओं से पार पाया। जिसमें जिंदगी की जीत हुई।

    WhatsApp पर हमसे जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.

    17 दिनों से जारी अभियान में अब-तक क्या कुछ हुआ, तस्वीरों के जरिए जानते हैं। 

    12 नवंबर

    • सुबह 5:30 बजे सुरंग में भूस्खलन हुआ, 41 श्रमिक अंदर फंसे।
    • देर रात पानी निकासी के पाइप से वाकी-टाकी पर प्रशासन का श्रमिकों से संपर्क।
    • इसी पाइप से श्रमिकों को आक्सीजन व खाद्य सामग्री की आपूर्ति शुरू।

    13 नवंबर

    • मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंडलायुक्त के साथ घटनास्थल का जायजा लिया।
    • शासन ने घटना के कारणों की तह तक जाने के लिए आठ सदस्यीय तकनीकी समिति गठित की।
    • निकास सुरंग बनाने को औगर ड्रिलिंग मशीन के लिए अस्थायी प्लेटफार्म बनाना शुरू।

    14 नवंबर

    • रात में ड्रिलिंग शुरू, लेकिन तीन मीटर ड्रिलिंग के बाद ही मशीन खराब।
    • बचाव अभियान के लिए राज्य सरकार ने कर्नल दीपक पाटिल को बुलाया।

    15 नवंबर

    • नई दिल्ली से वायु सेना के तीन हरक्यूलिस विमानों ने अमेरिकन औगर ड्रिलिंग मशीन सिलक्यारा पहुंचाई।
    • इंतजार बढ़ने से नाराज अन्य श्रमिकों ने सुरंग के बाहर दो घंटे तक हंगामा और प्रदर्शन किया।
    • निकास सुंरग बनाने के लिए इंटरनेट मीडिया के जरिये नार्वे व थाईलैंड के विशेषज्ञों से संपर्क।

    16 नवंबर

    • सुबह 10 बजे निकास सुरंग बनाने के लिए अमेरिकन औगर मशीन ने काम शुरू किया।
    • सिलक्यारा की तरफ से देर रात तक 900 मिमी व्यास के पाइप डालकर 18 मीटर निकास सुरंग तैयार।

    17 नवंबर

    • सिलक्यारा की तरफ से सुरंग के अंदर 22 मीटर निकास सुरंग तैयार।
    • दोपहर में पहाड़ी दरकने की तेज आवाज के बाद ड्रिलिंग बंद।
    • श्रमिकों तक पहुंचने के लिए वर्टिकल व हारिजांटल ड्रिलिंग से मार्ग बनाने के विकल्प पर काम शुरू।
    • सुरंग में एक और श्रमिक के फंसे होने का पता चला, संख्या 41 पहुंची।

    18 नवंबर

    • सिलक्यारा की तरफ ड्रिलिंग मशीन के कंपन से डेंजर जोन बनने के कारण अभियान रोका।
    • सिलक्यारा पहुंची प्रधानमंत्री कार्यालय की टीम ने बचाव अभियान की कमान अपने हाथ में ली।
    • फंसे श्रमिकों के स्वजन व अन्य श्रमिकों का नवयुग कंपनी के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन।

    19 नवंबर

    • श्रमिकों का जीवन बचाने के लिए एक साथ छह स्थानों पर काम शुरू।
    • केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे सिलक्यारा।

    20 नवंबर

    • सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग को दो स्थान चयनित।
    • विविध खाद्य पदार्थ व अन्य सामग्री पहुंचाने को छह इंच व्यास का 57 मीटर लंबा पाइप आर-पार।
    • बड़कोट की तरफ से टीएचडीसी ने निकास सुरंग बनाने का कार्य शुरू किया।

    21 नवंबर

    • पहली बार सामने आई सुरंग में फंसे श्रमिकों की फोटो और वीडियो, सभी के सुरक्षित होने की पुष्टि।
    • सुरंग के अंदर 17 नवंबर से बंद औगर मशीन से ड्रिलिंग फिर शुरू, अब डाले जा रहे 800 मिमी व्यास के पाइप।
    • बड़कोट की तरफ से टीएचडीसी ने आठ मीटर ड्रिलिंग की। तीन अन्य स्थानों पर भी ड्रिलिंग की तैयारी पूरी।

    22 नवंबर

    • सिलक्यारा की तरफ से शाम तक 60 मीटर में से 45 मीटर ड्रिलिंग का काम पूरा।
    • चारधाम आलवेदर रोड परियोजना के ओएसडी भाष्कर खुल्बे घटनास्थल पर पहुंचे।

    23 नवंबर

    • 24 घंटे के दौरान चार बड़ी बाधाओं के कारण 1.8 मीटर ड्रिलिंग ही हो सकी।
    • श्रमिकों तक पका भोजन व अन्य वस्तुएं पहुंचाईं।
    • सिलक्यारा में डटे मुख्यमंत्री, मिनी सचिवालय भी स्थापित।

    24 नवंबर

    • लोहे के जाल में फंसने से औगर मशीन का ब्लेड टूटा।
    • 2.5 मीटर ड्रिलिंग के बाद काम रोका, मैनुअल ड्रिलिंग का निर्णय। वर्टिकल ड्रिलिंग पर भी मंथन।

    25 नवंबर

    • सुरंग में फंसी औगर मशीन के हिस्सों को काटकर निकालने का काम जारी।

    26 नवंबर

    • सुरंग के ऊपर पहाड़ी से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू।
    • ड्रिफ्ट टनल बनाने का काम भी प्रगति पर।
    • मैनुअल ड्रिलिंग के लिए बुलाए गए रैट माइनर्स।

    यह भी पढ़ें - Uttarakhand Tunnel Rescue: पहाड़ का सीना चीरकर बाहर लाया गया पहला मजदूर, 16 दिन, आठ घंटे और 30 मिनट की मेहनत के बाद मिली कामयाबी