Uttarakhand: सिलक्यारा सुरंग जल्द होगी आर-पार, 2023 में आई थी चर्चा में; 17 दिन तक फंसे थे 41 श्रमिक
Silkyara Tunnel बहुप्रतीक्षित सिलक्यारा सुरंग का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। बुधवार को लोहे की सरिया पोल गांव से सिलक्यारा की दिशा में आर-पार हो गई है। उम्मीद है कि 15 अप्रैल तक सुरंग पूरी तरह से आर-पार हो जाएगी। सुरंग के बनने से उत्तरकाशी और गढ़वाल क्षेत्र के यात्रियों को बड़ा फायदा होगा। यह सुरंग चारधाम यात्रा के दौरान आवाजाही को आसान बनाएगी।

संवाद सूत्र जागरण, बड़कोट। Silkyara Tunnel:बहुचर्चित सिलक्यारा सुरंग की खुदाई का कार्य अंतिम चरण में है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चला तो मात्र पंद्रह दिनों में सुरंग आर-पार हो जाएगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, बुधवार को लोहे की सरिया पोल गांव से सिल्क्यारा की दिशा में आर-पार हो चुकी है। इससे यह संभावना बढ़ गई है कि 15 अप्रैल तक सुरंग पूरी तरह से आरपार हो जाएगी।
बता दें कि केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण चारधाम सड़क परियोजना में निर्माणाधीन 4.5 किमी लंबी सिल्क्यारा-पोलगांव सुरंग वर्ष 2023 में भूस्खलन के कारण सुर्खियों में रही थी। उस दौरान सुरंग के सिलक्यारा मुहाने के पास भूस्खलन से 41 श्रमिक सुरंग के फंस गए थे, जिन्हें 17 दिनों तक चले कठिन रेस्क्यू आपरेशन के बाद सुरक्षित निकाला गया था।
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ढाई से तीन महीने तक ठप रहा था काम
इस हादसे के बाद सुरंग निर्माण कार्य लगभग ढाई से तीन महीने तक पूरी तरह ठप रहा। गत वर्ष 23 जनवरी 2024 को केंद्र सरकार ने कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड) को सुरंग का निर्माण दोबारा शुरू करने के निर्देश दिए।
निर्माण एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बड़कोट छोर से बुधवार को सरिया पूरी तरह आर-पार हो चुकी है। अब 15 से 20 अप्रैल के बीच सुरंग पूरी तरह से आर-पार होने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, सुरंग की फिनिशिंग और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने में लगभग डेढ़ से दो वर्ष का समय लग सकता है।
जागरण आर्काइव।
इन कार्यों में सुरंग के अंदर मध्य में बनाई जा रही दीवार का निर्माण, सिल्क्यारा छोर पर पुल और दीवार निर्माण, तथा दोनों छोरों पर कंट्रोल रूम का निर्माण शामिल है।
150 करोड़ की लागत से होंगे इलेक्ट्रो मैकेनिकल कार्य
सुरंग में लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत से इलेक्ट्रो-मैकेनिकल कार्य किए जाएंगे। इनमें इटली से मंगवाया गया फायर सप्रेशन सिस्टम भी लगाया जाएगा। यह सिस्टम हजारों नोजल से लैस होगा, जो सेंसर के माध्यम से तापमान में वृद्धि या आग लगने की स्थिति में स्वतः सक्रिय होकर पानी की फुहारों से आग को फैलने से रोकेगा।
साथ ही, सुरंग के दोनों किनारों पर बनाए जा रहे कंट्रोल रूम से ट्रैफिक, कैमरे, सेंसर और फायर सप्रेशन सिस्टम को स्काडा (पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण तकनीक) के माध्यम से नियंत्रित किया जाएगा।
सुरंग बनने से घटेगी करीब 26 किमी दूरी
सिल्क्यारा सुरंग के पूर्ण होने से उत्तरकाशी और गढ़वाल क्षेत्र के यात्रियों को बड़ा फायदा होगा। यह सुरंग चारधाम यात्रा के दौरान आवाजाही को आसान बनाएगी और समय की बचत के साथ-साथ यात्रियों के लिए एक सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगी। स्थानीय प्रशासन और निवासियों को उम्मीद है कि सुरंग का कार्य जल्द पूरा कर इसे यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। सुरंग बनने से गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के बीच लगभग 26 किमी दूरी कम होगी।
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