गंगोत्री धाम में एक सितंबर से पसर सकता है अंधेरा
गंगोत्री धाम में बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी को पिछले डेढ़ साल से भुगतान नहीं हुआ है। इससे नाराज कंपनी ने एक सितंबर से गंगोत्री में बिजली की आपूर्ति बंद करने की चेतावनी दी है।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: गंगोत्री धाम में बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी को पिछले डेढ़ साल से भुगतान नहीं हुआ है। इससे नाराज कंपनी ने एक सितंबर से गंगोत्री में बिजली की आपूर्ति बंद करने की चेतावनी दी है।
कंपनी प्रबंधक महेश भट्ट ने बताया कि गंगोत्री धाम में बिजली की व्यवस्था की लिए उरेडा ने रुद्रगैरा में 150 किलोवाट तथा केदारगंगा में 20 किलोवाट की परियोजनाएं बनाई हुई हैं। इन परियोजनाओं का संचालन उरेडा प्राइवेट कंपनियों से कराता आ रहा है।
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उन्होंने बताया कि जून 2015 से पहले उरेडा गंगोत्री ने विद्युत संचालन की जिम्मेदारी एमएफईपीएल कंपनी को दी थी। जून 2015 से उरेडा के साथ महेश माइक्रोज एंड इलेक्ट्रीकल कंपनी के साथ अनुबंध हुआ। इस अनुबंध के अनुसार कंपनी को गंगोत्री में 170 विद्युत उपभोक्ताओं से 4.55 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से लेना था।
उन्होंने बताया कि आपदा प्रभावित होने के कारण गंगोत्री धाम में बिजली के बिल वर्ष 2013 से वर्ष 2017 तक माफ करने की सीएम की घोषणा के कारण कंपनी ने उपभोक्ताओं से बिल की वसूली नहीं की। लेकिन, माफ किए गए बिल के एवज में पिछले दो साल से उरेडा ने भी कंपनी का भुगतान नहीं किया।
उन्होंने बताया कि जून 2015 से पहले काम करने वाली कंपनी का भी करीब साढ़े चार लाख का भुगतान बाकी है। वहीं, महेश माइक्रोज एंड इलेक्ट्रीकल कंपनी का बीते वर्ष का 6.50 लाख व अभी तक 3.92 लाख का भुगतान बाकी है। इस संबंध में पिछले एक साल उरेडा को कई पत्र लिखे गए।
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इसके बाद अगस्त के प्रथम सप्ताह जब उन्होंने गंगोत्री में विद्युत संचालन बंद करने की चेतावनी दी तो उरेडा के अधिकारियों ने उन्हें बिल भुगतान करने के बजाय उनकी कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की धमकी दी। उन्होंने बताया कि कोर्ट जाने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। इसलिए सोमवार को वह एक अंतिम पत्र उरेडा को देंगे। इस पर भी यदि भुगतान नहीं हुआ तो एक सितंबर से विद्युत संचालन बंद कर दिया जाएगा।
वहीं, उरेडा के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि महेश माइक्रोज एंड इलेक्ट्रीकल कंपनी की ओर से चेतावनी पत्र तो मिला है, लेकिन विद्युत संचालन बंद करने का नोटिस नहीं मिला है। कंपनी को भुगतान करने के लिए शासन को 11 लाख का प्रस्ताव भेजा गया है। शासन से जब धनराशि प्राप्त हो पाएगी, तभी कंपनी का भुगतान कर सकेंगे।
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