सिर पर पहाड़ी टोपी, बदन पर ऊन से बने पट्टू के कोट... उत्तराखंड यात्रा के दौरान कुछ इस अंदाज में नजर आएंगे PM मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 फरवरी को उत्तराखंड के मुखवा और हर्षिल की शीतकालीन यात्रा पर भेड़ की ऊन से बने पट्टू के कोट पजामा और पहाड़ी टोपी पहने नजर आएंगे। स्थानीय जाड़ जनजाति के नालंदा स्वयं सहायता समूह द्वारा तैयार किए जा रहे इन पारंपरिक परिधानों में से एक कोट और टोपी बनकर तैयार हो चुकी है। जबकि दूसरे की सिलाई का काम जोरों पर है।

अजय कुमार, उत्तरकाशी। 27 फरवरी को मां गंगा के मायके मुखवा व हर्षिल की शीतकालीन यात्रा पर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भेड़ की ऊन बनाए जाने वाले पट्टू कपड़े से तैयार बंद गले का कोट, पजामा व पहाड़ी टोपी पहने नजर आ सकते हैं।
उद्योग विभाग के ऑर्डर पर जाड़ जनजाति बाहुल्य डुंडा स्थित नालंदा स्वयं सहायता समूह पीएम के लिए पट्टू कपड़े के कोट, पजामे व पहाड़ी टोपी तैयार कर रहा है। इनमें से एक कोट व टोपी बनकर तैयार हो चुकी है। जबकि दूसरे की सिलाई का काम जोरों पर है।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रस्तावित शीतकालीन यात्रा के लिए जिला प्रशासन ने उन्हें स्थानीय स्तर पर जाड़ व किन्नोरी जनजाति द्वारा तैयार उत्पाद भेंट करने की योजना बनाई है। इसके लिए गत 7 व 8 फरवरी को ही जाड़ जनजाति बाहुल्य डुंडा के नालंदा स्वयं सहायता समूह से जिला प्रशासन ने कुछ ऊनी वस्त्र मंगवाए थे।
इनमें गोल गले के कोट के साथ ही जाड़ समुदाय के लोगों द्वारा पहना जाने वाला छुबा, पजामा, पहाड़ी टोपी व शॉल आदि शामिल थे। उक्त वस्त्रों में अंतिम रूप से प्रधानमंत्री को भेंट स्वरूप देने के लिए स्थानीय स्तर पर जाड़ व किन्नोरी जनजाति द्वारा भेड़ की ऊन से बनाए जाने वाले पट्टू या विंडी कपड़े से तैयार गोल गले के कोट, पजामे व पहाड़ी टोपी को चुना गया है।
इस कपड़े से प्रधानमंत्री के लिए दो गोल गले के कोट, पजामे व पहाड़ी टोपी तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी सिलाई का काम समूह से जुड़े सुरेंद्र सिंह नैथानी कर रहे हैं। नालंदा स्वयं सहायता की अध्यक्ष भागीरथी नेगी ने बताया कि जिला प्रशासन ने प्रधानमंत्री के लिए बनाए जाने वाले एक कोट के लिए स्लेटी रंग का कपड़ा चुना गया है।
जबकि दूसरे के लिए बादामी रंग का कपड़ा चुना है। उन्होंने बताया कि एक कोट व टोपी की सिलाई पूरी हो चुकी है। जबकि दूसरे की सिलाई का काम जारी है। बताया कि जिस रंग का कोट, पजामा होगा, उसी रंग की पहाड़ी टोपी भी होगी, जिस पर ब्रह्मकमल लगा होगा।
ये हैं पट्टू या विंडी कपड़े की खासियत
जाड़ व किन्नोरी जनजाति द्वारा भेंड की ऊन से बनाया जाने वाले पट्टू या विंडी कपड़ा पूरी तरह हाथ से तैयार किया जाता है। इसके लिए भेंड़ की ऊन से धागा तैयार करने की एक लंबी प्रक्रिया होती है, तकली से निकालकर गोला बनाने से लेकर चरखे पर ऊन की कताई की जाती है। इसमें एक सप्ताह से अधिक का समय लगता है।
प्रधानमंत्री के लिए तैयार पट्टू कपड़े का कोट। स्रोत समूह
बादामी कलर भी पारंपरिक अखरोट के छिलके से तैयार रंग से दिया जाता है। जबकि स्लेटी कलर काला व सफेद रंग मिलाकर तैयार किया जाता है। सर्दियों में यह कपड़ा बहुत गर्म होता है। इससे तैयार बंद गले के एक कोट की कीमत साढ़े पांच हजार रूपए तक है, जिसकी सर्दियों में अच्छी मांग रहती है।
समूह में कार्यरत हैं 70 से 80 महिलाएं
नालंदा स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष भागीरथी नेगी। जागरण
नालंदा स्वयं सहायता समूह पारंपरिक ऊनी वस्त्र उद्योग को समर्पित है। इस समूह के अंतर्गत संगम, हिमालय, नीलकंठ, बुद्ध, भागीरथी, सरस्वती, गंगा आदि करीब 10 से अधिक छोटे-छोटे समूहों में 70 से 80 महिलाएं कार्यरत हैं, जो कि ऊनी स्वेटर से लेकर ऊनी वस्त्र तैयार करने का काम करती हैं।
महिलाओं के द्वारा तैयार उत्पाद को नालंदा स्वयं सहायता समूह बाजार मुहैया कराता है। समूह की अध्यक्ष भागीरथी नेगी ने बताया कि उन्हें स्वयं ऊनी वस्त्र उद्योग में कार्य करते हुए 20 साल से अधिक का समय हो चुका है। उनके पति ज्ञानचंद भी इसी क्षेत्र में सालों से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए कोट, पजामे व पहाड़ी टोपी तैयार करने का अवसर मिलने पर गर्व जताया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।